औकात मे रह, वरना
मैं तुझे फोड डालूंगा...
सच्ची कह रहा हूँ...
दूर रह मुझसे, वरना...
मैं तुझे तोड डालूंगा।
माना कि तुझे मैंने खूब,
पिया भी व पिलाया भी,
हम बीच रिश्ते को वजन
दिया भी और दिलाया भी,
किंतु, प्रकट न हो,
यूं तकलीफ़ियों सी भी,
क्योंकि, हद होती है
नजदीकियों की भी।
ख्वाहिश बनके रोज,
बुलाया न कर मयखाने,
कोई, बीच तेरे-मेरे,
इस रिश्ते को न जाने।
समझ ले, कांच की है,
पत्थर से न टकराना,वरना
पत्थर से ही तोड़ डालूंगा,
दूर रह मुझसे, वरना...
मैं तुझे फोड डालूंगा।।