ऐ साहुकार, तु कर न
वसूली की तकरार,
मुझे दिए हुए लोन पे,
मन्ने तो मांगा नी था,
लोन देने का कौल
तेरा ही आया था
भैया,
मेरे फोन पे ।
...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
मौसम त्योहारों का, इधर दीवाली का अपना चरम है, ये मेरे शहर की आ़बोहवा, कुछ गरम है, कुछ नरम है, कहीं अमीरी का गुमान है तो कहीं ग़रीबी का तूफान...
वाह।😅
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