Tuesday, November 24, 2020

रूबरू बोतल..

औकात मे रह, वरना

मैं तुझे फोड डालूंगा...

सच्ची कह रहा हूँ...

दूर रह मुझसे, वरना... 

मैं तुझे तोड डालूंगा।


माना कि तुझे मैंने खूब,

पिया भी व पिलाया भी,

हम बीच रिश्ते को वजन

दिया भी और दिलाया भी,

किंतु, प्रकट न हो,

यूं तकलीफ़ियों सी भी,

क्योंकि, हद होती है 

नजदीकियों की भी।


ख्वाहिश बनके रोज, 

बुलाया न कर मयखाने,

कोई, बीच तेरे-मेरे, 

इस रिश्ते को न जाने।


समझ ले, कांच की है,

पत्थर से न टकराना,वरना

पत्थर से  ही तोड़ डालूंगा,

दूर रह मुझसे, वरना... 

मैं तुझे फोड डालूंगा।।


4 comments:

संशय !

मौसम त्योहारों का, इधर दीवाली का अपना चरम है, ये मेरे शहर की आ़बोहवा, कुछ गरम है, कुछ नरम है, कहीं अमीरी का गुमान है तो कहीं ग़रीबी का तूफान...