Thursday, March 31, 2022

मिथ्या

सनक किस बात की, 

जुनून किस बात का?

पछतावे की गुंजाइश न हो, 

शुकून किस बात का?







Monday, March 28, 2022

वहम

न हम 'हम' मे रहे

न 'अहम' मे,

जिंदगी कट गई

इसी 'वहम' मे ।

जस दृष्टि, तस सृष्टि !

धर्म सृष्टा हो समर्पित, कर्म ही सृष्टि हो, नज़रों में रखिए मगर, दृष्टि अंतर्दृष्टि हो, ऐब हमको बहुतेरे दिख जाएंगे दूसरों के,  क्या फायदा, चि...