नेपथ्य आपका कुठौर,अलहडपन हमारा ठौर था,
आज जो येह जमाना है, कल समय कुछ और था,
इतराओ बुलंदियों पे अपनी, मगर ये भी मत भूलो !
अभी वक्त है आपका तो कभी हमारा भी दौर था।
...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
उस हवेली में भी कभी, वाशिंदों की दमक हुआ करती थी, हर शय मुसाफ़िर वहां,हर चीज की चमक हुआ करती थी, अतिथि,आगंतुक,अभ्यागत, हर जमवाडे का क्या कहन...
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 13.10.22 को चर्चा मंच पर चर्चा - 4580 में दी जाएगी
ReplyDeleteधन्यवाद
दिलबाग
वाह्य, क्या बात है।
ReplyDeleteअप्रतिम।