Thursday, February 6, 2020

कुछ अंश मेरी काव्यपुस्तक "तहकी़कात जारी रहेगी" से... 5


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मौन-सून!

ये सच है, तुम्हारी बेरुखी हमको, मानों कुछ यूं इस कदर भा गई, सावन-भादों, ज्यूं बरसात आई,  गरजी, बरसी और बदली छा गई। मैं तो कर रहा था कबसे तुम...