ऐ साहुकार, तु कर न
वसूली की तकरार,
मुझे दिए हुए लोन पे,
मन्ने तो मांगा नी था,
लोन देने का कौल
तेरा ही आया था
भैया,
मेरे फोन पे ।
...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
उधर सामने खडे थे संस्कार, बनकर के मेरे पहरेदार, संकुचायी सी मैं कुछ बोली नहीं, तुम हरगिज़ इसे गलत मत समझना, इत्तेफ़ाक़न , मैं इतनी भी भोली नह...
वाह।😅
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