कहाँ जाकर के छंटा,
मन का द्वन्द मेरा,
कुछ यूं रहा
घंटे संग सम्बन्ध मेरा।
जब पैदा हुआ
तो पंडत पिता से बोला,
जन्मकुंडली पूजनी है ,
इक घंटा चाहिए।
गोदी में पिता की,
मंदिर को चलने लगा,
पूछा, पापा वहाँ क्या मिलेगा?
पापा बोले, घंटा मिलेगा !
पांच का हुआ तो पिता संग
उंगली पकड़ स्कूल को चल दिया,
कौतुहलबस पूछा, वहाँ क्या मिलेगा?
पापा बोले, घंटा मिलेगा !
दाखिले बाद स्कूल जाने को हुआ,
तो पिता बोले, मन लगाकर पढ़ना,
आदतन पूछा, पढ़कर क्या मिलेगा?
पापा बोले, घंटा मिलेगा !
शादी के लायक हुआ तो,
पिता ने घोडी पर चढ़ाया ,
मैंने फिर पूछा, शादी से क्या मिलेगा?
पापा बोले, घंटा मिलेगा !
गृहस्थ जीवन में प्रवेश हुआ तो,
नवेली दुल्हन से मैंने पूछा,
जानेमन, नाश्ते में क्या मिलेगा ?
वह मुस्कुराई, अंगूठा दिखाया और चल दी !
आखिर जब रिटायर हुआ तो,
बेटे ने वृद्धाश्रम ले जाकर छोड़ दिया,
मेरी नजरों में अनगिनत सवाल थे,
किंतु वह बोला कुछ नही !
बस, एक कांसे का हाथ में पकडा गया !!
मन का द्वन्द मेरा,
कुछ यूं रहा
घंटे संग सम्बन्ध मेरा।
जब पैदा हुआ
तो पंडत पिता से बोला,
जन्मकुंडली पूजनी है ,
इक घंटा चाहिए।
गोदी में पिता की,
मंदिर को चलने लगा,
पूछा, पापा वहाँ क्या मिलेगा?
पापा बोले, घंटा मिलेगा !
पांच का हुआ तो पिता संग
उंगली पकड़ स्कूल को चल दिया,
कौतुहलबस पूछा, वहाँ क्या मिलेगा?
पापा बोले, घंटा मिलेगा !
दाखिले बाद स्कूल जाने को हुआ,
तो पिता बोले, मन लगाकर पढ़ना,
आदतन पूछा, पढ़कर क्या मिलेगा?
पापा बोले, घंटा मिलेगा !
शादी के लायक हुआ तो,
पिता ने घोडी पर चढ़ाया ,
मैंने फिर पूछा, शादी से क्या मिलेगा?
पापा बोले, घंटा मिलेगा !
गृहस्थ जीवन में प्रवेश हुआ तो,
नवेली दुल्हन से मैंने पूछा,
जानेमन, नाश्ते में क्या मिलेगा ?
वह मुस्कुराई, अंगूठा दिखाया और चल दी !
आखिर जब रिटायर हुआ तो,
बेटे ने वृद्धाश्रम ले जाकर छोड़ दिया,
मेरी नजरों में अनगिनत सवाल थे,
किंतु वह बोला कुछ नही !
बस, एक कांसे का हाथ में पकडा गया !!
क्या बात है --- ! !
ReplyDeleteघंटा मिला कि नही?