यह जो ऊपर आपलोग तस्वीर देख रहे है,यह पाकिस्तान की है,जहां लोग सीआईए के तथाकथित जासूस रेमंड डेविस को जिनेवा संधि के तहत कोई भी डिप्लोमैटिक स्टेटस देने का विरोध कर रहे है, और उसे मौत की सजा देने की मांग कर रहे है! आरोप है कि उसने हाल में दो पाकिस्तानी हथियारबंद युवकों को लाहौर में इसलिए गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया था, क्योंकि वे कथित तौर पर उसे उसवक्त लूटना चाहते थे, जब वह एक एटीम से पैसे निकालकर जा रहा था! लेकिन अब यह बाते सामने आ रही है कि वह एक सीआईए एजेंट था और स्थानीय आतंकवादियों के साथ मिला हुआ था!
अब सवाल मैं अपने उन मुस्लिम भाइयों,खासकर पाकिस्तानी मुस्लिम भाइयों से पूछना चाहता हूँ, जो गोधरा काण्ड पर आये हालिया न्यायालय के फैसले के बाद से ही भारत और खासकर हिन्दुओं के प्रति तमाम मीडिया और गली-चौराहों पर जहर उगले जा रहे है! मैं यह मानता हूँ कि यह हमारे इस देश का दुर्भाग्य है कि हमारे बहुत से लोगो में आत्मसम्मान और गौरव की हमेशा से कमी रही है! अगर ऐसा न होता तो गोधरा के उस दर्दनाक वाकिये के बाद न इतनी कहानियाँ हम लोग गढ़ते और न फिर गुजरात दंगे होते! आज यह भी न होता कि जो कोर्ट का निर्णय आया है, उसपर हम लोग नुक्ताचीनी करते, क्योंकि केंद्र में पिछले रेलमंत्री लालू प्रसाद द्वारा नियुक्त किये गए सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज श्री बनर्जी की जांच रिपोर्ट और गुजरात के माननीय न्यायाधीश की रिपोर्ट में परस्पर विरोधाभास नहीं होता ! और शायद उन ५९ दिवंगत आत्माओं को न्याय के लिए इतना इन्तजार भी नहीं करना पड़ता!
मेरा सवाल यह है, खुदा न करे लेकिन मान लीजिये कि पाकिस्तान में एक ट्रेन जा रही है, और वहां जो बचे-खुचे हिन्दू है, उनकी एक भीड़ उस ट्रेन को आग लगा दे और ६० पाकिस्तानी मुसलमान उस आग की भेंट चढ़ जाए, उसके बाद आप लोगो की क्या प्रतिक्रिया होगी ?
एक आग्रह है कि सवाल पढने के बाद मेरी बात पर नहीं,अपने दिल की बात पर गौर फरमाईएगा !
आपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार (26.02.2011) को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.uchcharan.com/
ReplyDeleteचर्चाकार:Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)
इस दर्द भरे सवाल का ज़वाब जानने की उत्सुकता रहेगी ।
ReplyDeleteगोदियाल जी शायद अपने देखा की खून के लिए खून, गोधरा कांड की सजा अधूरी है असली आरोपी को छोड़ दिया गया है न्याय की लंबित प्रक्रिया के कारन ही बिद्रोही भावना पैदा होती है ,मुस्लिम भाइयो से निबेदन है की जरा सी तो मानवता की तरफ देखे. और दुबारा गोधरा न हो .
ReplyDeleteहमारा भारत विवधता में एकता वाला देश है और पाकिस्तान साम्राज्यवाद की दत्तक संतान है.साम्राज्यवादी तो तिजारती धन-लोलुप होते हैं उनसे मानवीयता की उम्मीद ही नहीं है.
ReplyDeleteभारत का मानचित्र और शिव का कल्पित स्वरूप एक ही है. नंदी पर बैठ कर गले में सांप धारण किये हैं.बाघ-चरम पहने हैं.यही हमारी संस्कृति है और हम इसी का पालन करते हैं.
गोदियाल जी, हमे भी इंतजार हे जबाब का!!
ReplyDeleteबडा ज्वलंत विषय चुना है गोदियाल जी आपने :)
ReplyDeleteज्वलंत विषय चुना, इस प्रश्न का उत्तर अगर मिल जाये तो अच्छा ही है |
ReplyDeleteइस सवाल का जवाब हर उस हिन्दू से भी पूछा जाना चाहिए जो खुद को सेकुलर मानता है और बात बात पर देश का अमन और चैन बिगाड़ने के लिए भगवा आतंकवाद को कोसता है.
ReplyDeleteएक सवाल तुम करो एक सवाल वो करें
ReplyDeleteसवाल ही सवाल का जवाब हो
सोच लो किंतु इस सवाल-जवाब मे
मानवता कहीं न फिर कबाब हो
तश्वीर किधर है?
ReplyDeleteआपसे भी सहमत और विचारशून्य बन्धु से भी सहमत।
ReplyDeleteगोदियाल साहेब इसका जबाब किसी भी मुस्लिम ब्लोगेर के पास नहीं हैं. क्योंकि उन्हें ये बात अच्छी तरह से पता हैं कि गोधरा कांड कि शुरवात ही गुजरात के मुसलमानों ने कि थी.
ReplyDeleteअगर गुजरात के मुसलमानों ने ट्रेन को नहीं लगाई होती तो आज लोग कहानियां नहीं बनाते. रही बात पाकिस्तान कि तो शायद ईस तरह कि घटना के बाद पाकिस्तान में हिन्दू नाम का कोई जीव होता ही नहीं.
गोदियाल जी,
ReplyDeleteवैसे तो आपने यह सवाल पाकिस्तानी मुस्लिम भाइयों से पूछा है... चलिए फिर भी में ही कुछ जवाब देने की कोशिश करता हूँ...
बात जहाँ तक गोधरा कांड की है, तो चाहे गोधरा हो या गुजरात, या फिर भारत या फिर विश्व में कहीं की भी घटना... किसी भी हत्या की वारदात का बदला हत्यारों से लेना ही सही इन्साफ है... इसमें कोई दो राय हो नहीं सकती है... और किसी भी मुसलमान ने कभी भी इसका विरोध किया ही नहीं है. और अगर कोई करता है तो उसे इस्लामिक उसूल पता ही नहीं है, वह खामखा ही अपने आप को मुस्लिम समझता है. इन्साफ इस्लाम की रूह की तरह है...
लेकिन इन्साफ का मतलब ऐसा इन्साफ नहीं जो की मुझे या आपको पसंद हो... आप चाहते हो की जिन पर आरोप लगे हैं उनको सजा मिले मैं चाहता हूँ जिन पर आरोप लगे हैं वह बेक़सूर निकले... यह दोनों चीज़ें सिर्फ चाहत हैं और कुछ भी नहीं... इन्साफ का मतलब है जिसने गुनाह किया उन्हें सजा मिले, चाहे आपको बुरा लगे या मुझे बुरा लगे... बेशक मेरा अपना या आपका कोई गुनाहगार निकलता है तो बुरा लगता ही है... और लगना भी चाहिए...
अदालत अपना काम कर रही है, यह ज़रूरी नहीं की हर अदालत में इन्साफ ही होता हो, क्योंकि अदालते इन्साफ के लिए सबूतों पर चलती हैं और यह ज़रूरी नहीं हुआ करता की हर बात का सबूत मौजूद हो. इसलिए अगर किसी अदालात ने फैसला दिया है तो उसके ऊपर की अदालत में केस चलाया जाता है... अक्सर निचली अदालतों के गुनाहगार उपरी अदालतों से बरी हो जाते हैं. कई बार उन्हें साजिशन फंसाया जाता है और कई बार दीगर वजहों से पूर्ण इन्साफ नहीं हो पाता है. इसके उल्टा भी होता है. जो बच गए थे, उन्हें उपरी अदालत सजा देती है... फिर भी जो बच जाता है उसके लिए ईश्वर की अदालत भी होती है, जहाँ सजा अवश्य ही मिलती है...
अक्सर जब भी गुजरात दंगो में इन्साफ की बात की जाती है तो सवाल होता है की गोधरा दंगो में इन्साफ की बात क्यों नहीं की जाती... यहाँ भी कुछ इसी तरह का सवाल उठ सकता है... लेकिन अपने-अपने इन्साफ के लिए हम लोग कब तक आवाज़ बुलंद करते रहेंगे? क्यों नहीं पुरे इन्साफ के लिए एक इंसान के नाते हम आवाज़ बुलंद करते हैं? कुछ लोग कहते हैं गुजरात, गोधरा के कारण हुआ... आप क्या सोचते हैं? क्या किसी एक की गलती का बदला बदला किसी दुसरे को सजा देकर चुकाया जा सकता है....
आप गोधरा के लिए लड़ रहे हैं और मुसलमान गुजरात के लिए.... आखिर यह लड़ाई इन्साफ के लिए क्यों नहीं लड़ी जाती? गोधरा में तो आज साबित हुआ है, जबकि गुजरात में सबके सामने हुआ था! फिर यह पोस्ट आज ही क्यों?
सही कहा गिरी साहब , ये लोग दुसरे की न्याय व्यवस्था का मजाक उड़ाते है अपनी सुविधा के हिसाब से और इनकी खुद की न्याय व्यवस्था देखिये; ताजा समाचार की दो लेने यहाँ लगा रहा हूँ :
ReplyDelete"रावलपिंडी: लाहौर हाई कोर्ट ने 26/11 के मुंबई आतंकी हमले के अकेले बचे हमलावर अजमल कसाब को पाकिस्तान की दंड प्रक्रिया संहिता के तहत एक घोषित अपराधी घोषित करने से इनकार कर दिया है! "
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ReplyDeleteशाहनवाज जी , सर्वप्रथम आपका शुक्रिया कि आपने अपने बहुमूल्य बिचार यहाँ रखे, लेकिन अफ़सोस कि असली सवाल को टालते हुए आप भी गोल-माल जबाब दे गए ! यह तो हम भी कह रहे है कि हर तरह की हिंसा गलत और हिंसा के दोषियों को सजा मिलनी ही चाहिए, चाहे वह गुजरात हो या फिर गोधरा !
ReplyDeleteमगर, क्या गुजरात से पहले कोई दंगे नहीं हुए ? मुस्लिमों ने कभी उन दंगो पर क्यों नहीं इतनी हाय-तोबा मचाई जितनी गुजरात पर ?
मुस्लिम कहते है कि चुकी गुजरात दंगे हिंदूवादी सरकार की सह पर हुए थे इसलिए हम उस हिंदूवादी सरकार से घृणा करते है ! तो भाई साहब मेरा एक सवाल उनसे भी है कि क्या १९८४ के सिख विरोधी दंगे नहीं हुए थे ?
क्या उसमे गुजरात से ज्यादा लोग नहीं मारे गए थे ?
क्या वह कॉग्रेस सरकार द्वारा प्रायोजित दंगे नहीं थे ?
तो फिर भाईलोगो आपका कॉग्रेस प्रेम क्या है, किस आधार पर आप थोक में कॉग्रेस को वोट देते हो ?
यह मत सोचियेगा कि मैं बीजेपी के पक्ष में यह सब बोल रहा हूँ, दोषी दोनों ही है, मेरी मंतव्य यह है कि क्या यह आप लोगो (मुसलमानों ) का दोगलापन नहीं है ?
यह आप भी समझते है और हरेक समझदार इन्सान को समझना चाहिए कि अगर बीज ही नहीं बोये जाते तो फसल कहाँ से उगती ?
खैर मेरा मूल प्रश्न अभी भी अनुतरित है ;सवाल यह है, खुदा न करे लेकिन मान लीजिये कि पाकिस्तान में एक ट्रेन जा रही है, और वहां जो बचे-खुचे हिन्दू है, उनकी एक भीड़ उस ट्रेन को आग लगा दे और ६० पाकिस्तानी मुसलमान उस आग की भेंट चढ़ जाए, उसके बाद आप लोगो की क्या प्रतिक्रिया होगी ?
सजा राजनीतिज्ञों को मिलनी चाहिए जो बार-बार ये आग भड़काते हैं वह भी महज वोट बैंक के लिए ।
ReplyDeleteइसीलिए अब सजा राजनीतिज्ञों को मिलनी चाहिए आम जनता को नहीं । एक दूसरे को लपटों में झोंक कर हमें कुछ नहीं मिलेगा। असली अपराधी सदियों से हमें परस्पर भिड़ा कर अपना उल्लू सीधा करते आ रहे हैं।
अब हमें पत्थर फेंकने वालों के बदले पत्थर फिंकवाने वालों पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए।
बडा विषय चुना है गोदियाल जी आपने
ReplyDeleteसजा राजनीतिज्ञों को मिलनी चाहिए
ReplyDeleteघालमेल की संस्कृति ने कबाड़ा कर दिया.. किसी और देश में ऐसा सोचा भी जा सकता है...
ReplyDeleteघर को ही आग लग गई घर के चिराग से...
यहां सब के हाथ में मशाले हैं... अपना घर फूंक रहे हैं और हाथ सेंक रहे हैं... दर्द देखना है तो इस साइट पर दंगों के फोटो देखिये. बंटवारे के समय के... शाहनवाज जी की टिप्पणी हमेशा की तरह ही है... बिना पढ़े भी समझी जा सकती है.. जब तक व्यक्ति एम्पैथी को नहीं अपनायेंगे तब तक कुछ ठीक नहीं होगा..
godiyal ji mere hisabh se agar aysi ghatna pakistan me huee hoti jaisee godhara me huee hai to mai yakeen se kehe sakta hu ki na keval pakistani musalman balki hindustan me rehnye wala muslman bhi apnye samnye anye wale har hindu ka gala raite deta kyoki kuran me yanhi likha hai ki jo islam ko na manye wo kafir hai use ese dunia me rehenye ka koi adhikar nahi hai use kate dalo. ROHit verma
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