...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
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संशय!
इतना तो न बहक पप्पू , बहरे ख़फ़ीफ़ की बहर बनकर, ४ जून कहीं बरपा न दें तुझपे, नादानियां तेरी, कहर बनकर।
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पहाड़ों की खुशनुमा, घुमावदार सडक किनारे, ख्वाब,ख्वाहिश व लग्न का मसाला मिलाकर, 'तमन्ना' राजमिस्त्री व 'मुस्कान' मजदूरों...
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स्कूटर और उनकी पत्नी स्कूटी शहर के उत्तरी हिस्से में सरकारी आवास संस्था द्वारा निम्न आय वर्ग के लोगो के लिए ख़ासतौर पर निर्म...
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आज तडके, दूर गगन में, एक अरसे के बाद, फुरसत से, सूरज अपनी महबूबा, चाँद से मिला, और कुछ पलों तक दोनों एक दूसरे को निहारते रहे, जी...
nice
ReplyDeleteताऊ बिल्कुल सही कह रहा है.:)
ReplyDeleteरामराम.
बहुत बढ़िया सर जी :)
ReplyDeleteझूठ तो नहीं है !जय हो
ReplyDeleteअरे कलमाडी जी रुपये तो कोई भी नही खा सकता,लेकिन घाटोले से डकार तो सकता हे ना
ReplyDeleteबहुत ही उम्दा रचना , बधाई स्वीकार करें .
ReplyDeleteआइये हमारे साथ उत्तरप्रदेश ब्लॉगर्स असोसिएसन पर और अपनी आवाज़ को बुलंद करें .कृपया फालोवर बनकर उत्साह वर्धन कीजिये
मंहगाई और भ्रष्टाचार कोई कबूलने वाली बातें नहीं हैं.कलमाडी जी गलत कहाँ हैं?
ReplyDeleteसफल कार्टूनिस्ट बनने पर बधाई!
ReplyDeleteअसरदार है
ReplyDeleteअब तो हिम्मत और बढ़ गई है ... चोरी और सीनाजोरी की... जेपीसी कराने की मांग है जी :)
ReplyDeleteये तो कलमाडी सही बोल रहा है ।
ReplyDeleteये तो सही बात है..
ReplyDeleteसही कहा.. उसने कहाँ रुपया खाया है....
ReplyDeleteआदरणीय गोदियाल जी.
ReplyDeleteनमस्कार
पहले तो सफल कार्टूनिस्ट बनने पर बधाई!
बहुत ही उम्दा रचना
ReplyDeleteबेचारा सही तो कह रहा है...
ReplyDeleteबहुत बढ़िया ...
ReplyDeleteसही बात है, रुपया कहाँ खाया?
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