प्रकृति छटा
सुशोभित अनंत है,
आया फिर
ऋतुराज वसंत है !
कोंपल कुसुम
सुगंधित वन है,
समीर सृजन
शीतल पवन है !
मंद-सुगंध सृजित
वात-बयार है,
सुर्ख नसों मे हुआ
रक्त संचार है !
हर सहरा ओढे
पीत वसन है,
जीवंत भया
अभ्यारण तन है !
दरख्तों पर
खग-पंछी शोर है,
कोमल सांस
कशिश पुरजोर है!
ठिठुरी शीत
सब कुछ भूली है,
खेत सुमुल्लसित
सरसों फूली है !
सफ़ल शीतल
सूर्य साधना है,
श्रीपंचम पर
सरस्वती अराधना है !
फ़ैली फिजा मे
सुगंध खास है,
खारों मे भी
लहराता मधुमास है !
सुरम्यं वादियों का
यही आदि-अंत है,
आया फिर से
ऋतुराज वसंत है !
ati sundar ..vartani sudhar ki awashyakataa hai.....par kavita ka bhav ati sundar
ReplyDeleteमंद-मंद वासंती बयार
ReplyDeleteनव किसलय करते सिंगार
नए पुराने वृक्षों का
हुआ संकेत वसंत आगमन का |
बहुत सुन्दर चित्र खींच कर रख दिया बसंत का| धन्यवाद|
ReplyDeleteवसन्त की आप को हार्दिक शुभकामनायें !
ReplyDeleteवसंत का बहुत ही सुन्दर वासंती चित्रण..
ReplyDeleteवसंत का स्वागत है।
ReplyDeleteसुन्दर कविता के साथ बसंत का स्वागत.आपको भी बसंत मंगलमय हो.
ReplyDeleteबसंत का स्वागत है..
ReplyDeleteआपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
ReplyDeleteप्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (7/2/2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.uchcharan.com
ऋतुराज बसंत के स्वागत पर सुन्दर सुघड़ सलोनी कविता -वाह !
ReplyDeleteसुंदर रचना जी. धन्यवाद
ReplyDeleteबसंती रचना को पढ़कर आनंद आ गया ।
ReplyDelete@Ana : आपका आभार अना जी , मगर आपसे साथ ही निवेदन करूँगा कि कोई शब्द त्रुटि या स्पेलिंग मिस्टेक जब आपकी नजर में आये तो आप उसे टिपण्णी में इंगित कर दे तो मुझे भी तुरंत सुधार करने में आप लोगो का सहयोग प्राप्त होगा !
ReplyDeleteआई झूमके वसंत...
ReplyDeleteस्वागत ऋतुराज वसंत का । शुभकामनाएं...
लाजवाब चित्रण, शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं।
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