Sunday, February 6, 2011

ऋतुराज वसंत !














प्रकृति छटा

सुशोभित अनंत है,

आया फिर

ऋतुराज वसंत है !

कोंपल कुसुम

सुगंधित वन है,

समीर सृजन

शीतल पवन है !



मंद-सुगंध सृजित


वात-बयार है,

सुर्ख नसों मे हुआ

रक्त संचार है !



हर सहरा ओढे


पीत वसन है,

जीवंत भया

अभ्यारण तन है !

दरख्तों पर

खग-पंछी शोर है,

कोमल सांस

कशिश पुरजोर है!

ठिठुरी शीत

सब कुछ भूली है,

खेत सुमुल्लसित

सरसों फूली है !



सफ़ल शीतल 


सूर्य साधना है, 

श्रीपंचम पर

सरस्वती अराधना है !

फ़ैली फिजा मे

सुगंध  खास है,

खारों मे भी

लहराता मधुमास है !

सुरम्यं  वादियों का

यही आदि-अंत है,

आया  फिर से

ऋतुराज वसंत है !

16 comments:

  1. ati sundar ..vartani sudhar ki awashyakataa hai.....par kavita ka bhav ati sundar

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  2. मंद-मंद वासंती बयार
    नव किसलय करते सिंगार
    नए पुराने वृक्षों का
    हुआ संकेत वसंत आगमन का |

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  3. बहुत सुन्दर चित्र खींच कर रख दिया बसंत का| धन्यवाद|

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  4. वसन्त की आप को हार्दिक शुभकामनायें !

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  5. वसंत का बहुत ही सुन्दर वासंती चित्रण..

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  6. सुन्दर कविता के साथ बसंत का स्वागत.आपको भी बसंत मंगलमय हो.

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  7. आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
    कल (7/2/2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
    देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
    http://charchamanch.uchcharan.com

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  8. ऋतुराज बसंत के स्वागत पर सुन्दर सुघड़ सलोनी कविता -वाह !

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  9. सुंदर रचना जी. धन्यवाद

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  10. बसंती रचना को पढ़कर आनंद आ गया ।

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  11. @Ana : आपका आभार अना जी , मगर आपसे साथ ही निवेदन करूँगा कि कोई शब्द त्रुटि या स्पेलिंग मिस्टेक जब आपकी नजर में आये तो आप उसे टिपण्णी में इंगित कर दे तो मुझे भी तुरंत सुधार करने में आप लोगो का सहयोग प्राप्त होगा !

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  12. आई झूमके वसंत...
    स्वागत ऋतुराज वसंत का । शुभकामनाएं...

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  13. लाजवाब चित्रण, शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  14. बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं।

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प्रश्न -चिन्ह ?

  पता नहीं , कब-कहां गुम हो  गया  जिंदगी का फ़लसफ़ा, न तो हम बावफ़ा ही बन पाए  और ना ही बेवफ़ा।