हे गुरुजी, मुझ दास की,
विनय बस इतनी सुन लीजिये’
बात बडी गम्भीर है,
कृपया कान इधर कीजिये !
शाम को पढू,सुबह को चौपट,
याददास्त कमजोर क्यो?
आजीविका की लाईन मे ,
प्रतियोगिता का शोर क्यो ?
यह मुझे भी मालूम है गुरु,
कि पृथ्वी सारी गोल है,
गोल है खोपडी मगर पास-लिस्ट से
अपना नम्बर क्यो गोल है?
गुरुजी ने कुर्सी खिसकाई,
खडे हुए, कान ऎठकर कहा, बेटा !
जवानी भर मस्ती मारी,
फिल्म देखी, आराम से रहा लेटा !
बिन तेरे फिल्म न देखने से,
मल्लिका शेरावत ,पिट तो न जाती,
अब अपना नम्बर गोल बताते हुए,
तुझे शर्म नही आती ?
अरे शर्म तो हमे आती है,
क्योंकि हम है तेरे गुरु,
अब पढाई के ख्वाब छोड,
कोई अवैध धन्धा कर शुरू !
बाहर दिखावे को देशी वस्तुवें,
अन्दर तस्करी का माल रखना,
जरुरत पर कभी-कभार अपने,
इस गरीब गुरु का भी ख्याल रखना !!
विनय बस इतनी सुन लीजिये’
बात बडी गम्भीर है,
कृपया कान इधर कीजिये !
शाम को पढू,सुबह को चौपट,
याददास्त कमजोर क्यो?
आजीविका की लाईन मे ,
प्रतियोगिता का शोर क्यो ?
यह मुझे भी मालूम है गुरु,
कि पृथ्वी सारी गोल है,
गोल है खोपडी मगर पास-लिस्ट से
अपना नम्बर क्यो गोल है?
गुरुजी ने कुर्सी खिसकाई,
खडे हुए, कान ऎठकर कहा, बेटा !
जवानी भर मस्ती मारी,
फिल्म देखी, आराम से रहा लेटा !
बिन तेरे फिल्म न देखने से,
मल्लिका शेरावत ,पिट तो न जाती,
अब अपना नम्बर गोल बताते हुए,
तुझे शर्म नही आती ?
अरे शर्म तो हमे आती है,
क्योंकि हम है तेरे गुरु,
अब पढाई के ख्वाब छोड,
कोई अवैध धन्धा कर शुरू !
बाहर दिखावे को देशी वस्तुवें,
अन्दर तस्करी का माल रखना,
जरुरत पर कभी-कभार अपने,
इस गरीब गुरु का भी ख्याल रखना !!
आप की रचना प्रशंसा के योग्य है . लिखते रहिये
ReplyDeleteचिटठा जगत मैं आप का स्वागत है
गार्गी
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