...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
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मौन-सून!
ये सच है, तुम्हारी बेरुखी हमको, मानों कुछ यूं इस कदर भा गई, सावन-भादों, ज्यूं बरसात आई, गरजी, बरसी और बदली छा गई। मैं तो कर रहा था कबसे तुम...
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कुछ हद तक सही ...
ReplyDeleteजी सर!!
ReplyDeleteyes u r right sir
ReplyDeletesahi kaha prabhu....
ReplyDeleteबिलकुल सही
ReplyDeleteये सद्विचार पांच सौ पैंतालीस बुद्धिमानों तक कैसे पहुंचेगा?
ReplyDeleteसेन्स के अलावा साहस की कमी भी हो सकती है जी ।
ReplyDeleteसत्य वचन....
ReplyDeleteसही......
ReplyDeleteबहुत बढ़िया विचार!
ReplyDeleteअगर अपनाएँ तो!
अति उत्तम विचार goudiyal सर , बहुत सटीक और सर्व काल में प्रासंगिक विचार डाला हैं आपने .
ReplyDelete!! श्री हरि : !!
बापूजी की कृपा आप पर सदा बनी रहे
Email:virender.zte@gmail.com
Blog:saralkumar.blogspot.com
बहुत से अपवाद भी हो सकते हैं लेकिन
ReplyDeleteजय हो ! सत्य वचन.... |
ReplyDeleteसटीक ..
ReplyDeleteसच में सद-विचार ....
ReplyDeleteसुवचन ।
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