सर पे बाल न हों तो
फिजूल में कंघे नहीं लेना ,
आईने में उभरते
अपने ही अक्श का संज्ञान
नंगे नहीं लेना ,
ज़माना सचमुच में
बहुत खराब हो गया है ,
इसीलिये बेवजह
किसी से पंगे नहीं लेना।
...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
पता नहीं , कब-कहां गुम हो गया जिंदगी का फ़लसफ़ा, न तो हम बावफ़ा ही बन पाए और ना ही बेवफ़ा।
"सरे राह किसी को एक रूपये का सिक्का
ReplyDeleteभीख में देना चाहो,तो भिखमंगे नहीं लेते!"
सत्यवचन!
"सरे राह किसी को एक रूपये का सिक्का
ReplyDeleteभीख में देना चाहो,तो भिखमंगे नहीं लेते!
भिखमंगे भी आजकल बहत स्टैण्डर्ड के हो गए हैं.....
lekin vote walon ke baare me kya kahenge..
ReplyDeleteअजी हरिदुवार मैने मैने एक भिखारी को ५० पेसे का सिक्का दे दिया..... वो उसे मेरे मुंह पर मार कर चला गया....
ReplyDeleteइसीलिये हम आजकल किसी से पंगे नहीं लेते !!
इसीलिये हम आजकल किसी से पंगे नहीं लेते !!
ReplyDeleteआपके पंगे न लेने से क्या होगा, हम पंगे तो लेंगे ही.
सुन्दर रचना
किसी से पंगा नहीं लेने का।
ReplyDeleteअच्छी बात है, पंगे नहीं ही लेने चाहिये.
ReplyDeleteजमाना वाकई में बहुत खराब आ गया है...शुक्र मनाईये कि आप बचे हुए हैं. अगर कहीं पंगा लिया होता तो :-)
ReplyDeleteसादर!
ReplyDeleteक्या कहूँ उम्र में छोटा हूँ, लेकिन जब पिछवाड़े लटकी हो बन्दुक तो वाकई पंगे नहीं लेते \
रत्नेश त्रिपाठी
महँगाई पर सटीक और सार्थक लेखन!
ReplyDeletesahi kaha sir pange lena matlab aafat mol lena...waise sundar abhivyakti....
ReplyDeleteसरे राह किसी को एक रूपये का सिक्का
ReplyDeleteभीख में देना चाहो,तो भिखमंगे नहीं लेते !
अब तो सारे भिखमंगे भ्रष्ट नेता हो गए हैं ..
इनको एक रुपया नहीं करोड़ों का खजाना मिल गये हैं ...
हाँ ये अलग बात है की आज सच्चाई और ईमानदारी भीख मांग रहें हैं ....
बहुत सही है।
ReplyDeleteकि ये दुनिया सचमुच में बहुत खराब हो गई,
ReplyDeleteइसीलिये हम आजकल किसी से पंगे नहीं लेते !
पंगे ले कर ही तो दुनिया खराब हो गयी है... :):)
बढ़िया मुक्तक
हमने तो आज तक किसी से पंगा नहीं लिया ....एक बार उपरवाले से लिया था , नीचे भेज दिया,,,, भुगत रहे है !!!
ReplyDeleteबढ़िया मुक्तक!
ReplyDeleteबहुत सही...पंगे लेने का जमाना नहीं रहा!! :)
ReplyDeleteसत्य वचन महाराज !
ReplyDeleteपंगे लेना आसान नहीं .. दूर रहना ही अच्छा है !!
ReplyDeleteइसीलिये हम आजकल किसी से पंगे नहीं लेते !!
ReplyDeleteबहुत खूब, लाजबाब !
हम भी किसी से पंगे नहीं लेते जी
ReplyDeleteशानदार पंक्तियां
बहुत अच्छी लगी आज की यह पोस्ट
प्रणाम
ये दुनिया सचमुच में बहुत खराब हो गई,
ReplyDeleteइसीलिये हम आजकल किसी से पंगे नहीं लेते .....सुन्दर रचना
hai baat me dam..
ReplyDeletesahmat hai ham...
kunwar ji,
गली से गुजरती इक मस्त-बयार कह रही थी
ReplyDeleteकि ये दुनिया सचमुच में बहुत खराब हो गई,
इसीलिये हम आजकल किसी से पंगे नहीं लेते !!
...satya vachan...
चंद शब्दों मे ही गज़ब की बात कह दी।
ReplyDeleteहमने तो अकसर आपको गद्दारों से पंगा लेते हुए देखा है।
ReplyDeleteबिलकुल ठीक करते हैं गोदियाल जी ।
ReplyDeleteGodiyal ji jab aap nahi lete panga to ham ka lenge...
ReplyDeletebahut acchi kavita..
aapka aabhaar...!!