Wednesday, June 2, 2010

छि घृणित राजनीति !

अभी कुछ दिनों पहले देश ने वह भयावह मंजर देखा, जब हावडा-कुर्ला लोकमान्य तिलक ज्ञानेश्वरी सुपर डीलक्स एक्सप्रेस, जोकि कलकता से मुंबई जा रही थी, के १३ डिब्बे जगराम से १३५ किलोमीटर दूर सरडीहा और खेमासुली रेलवे स्टेशनों के बीच रेलवे स्टेशनों के बीच तडके १:३० बजे रेल पटरी पर किये गए ब्लास्ट की वजह से दुर्घटनाग्रस्त हो गए, जिसमे १५० से अधिक यात्री मारे गए और करीब २०० से अधिक घायल हुए ! उसी दिन मैंने इस बाबत एक लेख लिखा था जिसमे आशंका जताई थी कि यह सिर्फ नक्सली अथवा माओवादी कृत्य ही नहीं, कुछ और भी हो सकता है, क्योंकि उस घटना के ठीक दो दिन बाद पश्चिम बंगाल में म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के चुनाव होने वाले थे!

आज एक खबर पर सहसा नजर गई , जिसमे कहा गया है कि माओ-नक्सली प्रवक्ता ने बीबीसी को फोन कर ( भारतीय सेक्युलर मीडिया पर तो उन्हें भी भरोसा नहीं रहा ) बताया कि वह घृणित कृत्य उन्होंने नहीं किया ! कल ही मैंने कहीं पर यह खबर भी पढी थी कि घटना का ठीकरा जिस पीसीपीए के सर फोड़ा जा रहा था, उसने भी अपने को इस घटना को अंजाम देने की बात से इनकार करते हुए अपने को अलग कर लिया ! हालांकि मैं इन वाम विचारधारा के करनी और कथनों को यूँ भी कभी सत्य नहीं मानता, मगर, यदि थोड़ी देर के लिए यह मान लिया जाए कि ये लोग जो कह रहे है वह सत्य है, तो फिर सवाल उठता है कि वह काम किसने किया? क्या पश्चिम बंगाल म्युनिसिपल चुनावों को प्रभावित करने के लिए इस घटना को अंजाम दिया गया ? अगर बात कुछ ऐसी ही है ( जिसकी आशंका ज्यादा प्रतीत होती है ) तो मैं तो कहूँगा कि लानत है ऐसी घृणित, नीच राजनीति पर , जो अपने फायदे के लिए निरीह-निर्दोष नागरिकों की बलि चढ़ा रही है!

24 comments:

  1. "घृणित राजनीति".......इसमें नया क्या है....?

    कुंवर जी,

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  2. बात इतनी आसान नहीं है। घटना में इस बात के सबूत कहीं नहीं हैं कि इसे नक्सलियों ने अंजाम दिया है। वे इस घटना में हाथ होने से इन्कार तो करते ही हैं, इस के साथ यह भी कहते हैं कि वे इस घटना के दोषियों को सजा देंगे। वे यह भी कहते हैं कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में रेलगाड़ियों की रात्रि आवाजाही रोकने की कोई आवश्यकता नहीं है। अब से वे इन की निगरानी करेंगे और कोई क्षति नहीं होने देंगे। शक उन दो नेताओं पर जताया जा रहा है, जो कभी नक्सल कहे जा कर पकड़े गए थे और बाद में रहस्यमय रीति से छोड़ दिए गए। जिन्हें केवल इस बिना पर ही छोड़ा जा सकता था कि वे पुलिस के मुखबिर बन जाएँ।
    इस तरह शक की सुई मत की राजनीति करने वाले लोगों पर ही जाती है।
    फिश-प्लेटें किन लोगों ने हटाईं जब तक यह साफ नहीं होता कुछ भी स्पष्ट नहीं हो सकता। इस घटना की गंभीर जाँच आवश्यक है। लेकिन यह जाँच कौन करेगा?

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  3. सत्य और सत्यमेव जयते मर चुका है घृणित राजनीती जयते की जय-जय हो रही है ,सोनिया जी और मनमोहन जी तालियाँ बजा रहें हैं ,आम जनता मजबूर असहाय होकर भगवान के अवतार का आँख मूंदकर राह देख रही है | अब तो सुदर्शन चक्र और गदा वाले ही आम लोगों को बचा सकतें हैं ....

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  4. ये देश है कुटिल हत्यारों का जो सफेद कपड़े तो खुद पहनते हैं लेकिन कफन जनता को पहना देते हैं..

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  5. इन 150 लोगों का कत्ल राजनितीक CPM ने किया या फिर माओवादी CPM ने फर्क क्या पड़ता है ,हैं तो दोनों ही बामपंथी आतंकवादी सेकुलर गिरोह।
    इन लोगों का धन्धा ही गरीबों का खून बहाकर माओवाद को आगे बढ़ाना है।
    यही सेकुलर राजनिती का कडवा सच है।
    इन गद्दारों के कुकर्मों को आपने लोगं के सामने रखा बहुत अच्छा लगा। बस यही तरीका है इन गद्दारों से मुक्ति पाने का।

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  6. अधिकतर हादसे ये नेता ही तो कराते हैं।

    प्रणाम

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  7. लाल झण्डे वाले अपना अस्तित्व बचाने के लिये किसी भी हद तक गिर सकते हैं

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  8. क्रोध पर नियंत्रण स्वभाविक व्यवहार से ही संभव है जो साधना से कम नहीं है।

    आइये क्रोध को शांत करने का उपाय अपनायें !

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  9. जैसा आपने लिखा है ...उस इलाके के लोग भी यही कहते हैं कि ये सब राजनीति के दांव पेंच हैं....

    कहाँ तक लोग नीचे गिरेंगे ...नहीं कहा जा सकता

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  10. "छि घृणित राजनीति !" यहाँ से राजनीती शब्द हटा दो ,,, ,,,जो बचे वही राजनीती का सही रूप है ...राजनीती शब्द आज बचा ही नहीं !

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  11. राजेन्द्र जी आपकी बात से पूर्ण सहमत !

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  12. सार्वजनिक बहिष्कार होना चाहिए एसे नेताओं का ...
    पर हमारी आवाज़ नक्कार खाने में तूती की तरह है ....

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  13. राजनीति कभी साफ-सुथरी नही रही!
    मेरा अनुभव यही कहता है!

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  14. चाहे नक्सलियों ने किया या लाल झंडे वालों ने, मरे तो निरपराध लोग ही हैं।
    ब्लेम गेम चलती रहेगी, जो नुकसान होना था, हो चुका।
    पारदर्शी और सख्त प्रशासन नहीं होगा तो ये होता ही रहेगा।

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  15. चाहे नक्सलियों ने किया या लाल झंडे वालों ने, मरे तो निरपराध लोग ही हैं।
    ब्लेम गेम चलती रहेगी, जो नुकसान होना था, हो चुका।
    पारदर्शी और सख्त प्रशासन नहीं होगा तो ये होता ही रहेगा।

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  16. yahi to baat hai ...tabhi to CBI ki jaanch ki maang jab mamat ji ne ki to kendra aanaakaani kar gaya...kyunki ho na ho daal me kuch kala hai...

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  17. जिस ने भी किया , बड़ा घृणित कार्य किया है ।

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  18. राजनीति इअतनी गंदी तो नही होती, यह सिर्फ़ अपने देश मै ही गंदी है, क्योकि गंदे नेता जो है, राजनीति जनता ओर देश के लिये हो ना की सीट ओर अपने लिये... लानत है इन सब पर.
    धन्यवाद, यह खबर मैने भी बीबी सी पर पढी थी सोचा हमारी मिडिया ने इसे जरुर लिखा होगा, लेकिन लगता है उन ने भी अपने पीछे दुम लगा ली है, जो सिर्फ़ सरकार के आगे हिलती है,या जो दो टुकडे डाल दे उस के आगे

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  19. इस देश को आज एक रीढ वाले राजनेता की जरूरत बडी शिद्दत से महसूस हो रही है.....

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  20. This comment has been removed by the author.

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  21. सही कहा आपने बहुत ही घृणित हैं ये .



    आज मेरी ये अंतिम टिप्पणियाँ हैं ब्लोग्वानी पर.
    कुछ निजी कारणों से मुझे ब्रेक लेना पड़ रहा हैं .
    लेकिन पता नही ये ब्रेक कितना लंबा होगा .
    और आशा करता हूँ की आप मेरा आज अंतिम लेख जरूर पढोगे .
    अलविदा .
    संजीव राणा
    हिन्दुस्तानी

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  22. राजनीति का गन्दा खेल अगर मासूम लोगों की जान लेकर खेला जा रहा है तो लानत है ऐसी राजनीति पर ।

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प्रश्न -चिन्ह ?

  पता नहीं , कब-कहां गुम हो  गया  जिंदगी का फ़लसफ़ा, न तो हम बावफ़ा ही बन पाए  और ना ही बेवफ़ा।