आजकल यात्रा एवं अत्यधिक व्यस्तता की वजह से अपने ब्लॉग के लिए कुछ लिख पाने में असमर्थ हूँ , फिर भी जब भी वक्त मिलता है कंप्यूटर खोल टिपियाने बैठ जाता हूँ ! इस टिपियाने और ब्लॉग जगत का विचरण करने का भी अपना ही अलग मजा है ! यहाँ जो दो बाते मेरे मन को अक्सर बहुत उद्वेलित करती है, वह मैं आज आप लोगो को बताना चाहता हूँ ;
१.बी. एस पाबला साहब का
प्रिंट मीडिया पर ब्लॉगचर्चा
जिसमे जब कभी इस किस्म की हेडिंग पाबला साहब ने लिखी होती है कि " हरिभूमि में विस्फोट " तो मुह से तुरंत निकलता है ' हे राम !, सत्यानाश हो इन आतंकवादियों का !
२. मोडरेशन लगे किसी ब्लॉग पर टिपण्णी करो और उसके तुरंत बाद स्क्रीन पर आपको दिखाई दे कि " आपकी टिपण्णी ब्लॉग मालिक के पास भेज दी गई है, प्रमाणित होने पर दिखने लगेगी " इस चेतावनी को पढ़कर मुझे तो पहले ऐसा महसूस होता है मानो मैंने कोई गुनाह कर दिया हो, दूसरा ऐसे भी लगता है कई बार कि मानो मैं दिल्ली जलबोर्ड के दफ्तर के बाहर अपनी अर्जी लेकर खडा हूँ पानी सप्लाई बहाल करने की प्रार्थना लेकर !
बाई दी वे क्या आपको भी ऐसा कुछ महसूस होता है ?
...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
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प्रश्न -चिन्ह ?
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बहुत खूब चिकोटी काटी है जी अपने टिपण्णी मोडरेशन पर, मुझे तो यह शुरू से ही काफी कोफ़्त भरा लगता है
ReplyDeleteहा हा ऐसे ही छोटे aur मोटे विराधाभासो से जीवन बना है !
ReplyDelete@हरिभूमि में विस्फोट " तो मुह से तुरंत निकलता है ' हे राम !, सत्यानाश हो इन आतंकवादियों का !
ReplyDeleteहा हा हा ..... खूब मजे ले गए यहाँ भी >)
बिल्कुल सही कहा आपने।
ReplyDelete:) :) सही कहा बिलकुल...
ReplyDelete" हरिभूमि में विस्फोट " तो मुह से तुरंत निकलता है ' हे राम !, सत्यानाश हो इन आतंकवादियों का !
ReplyDeleteसही है!
टिप्पणी मोडरेशन ज़िम्मेदार ब्लॉग्गिंग का एक अंश भर है.
" आपकी टिपण्णी ब्लॉग मालिक के पास भेज दी गई है, प्रमाणित होने पर दिखने लगेगी "...कभी कभी मुझे भी यूं लगता है जैसे फ़ैक्ट्री के मालिक ने गेट पर तैनात 1800 रूपये महीने के चौकीदार को कह रखा हो कि शाम को ड्यूटी ख़त्म करने के बाद चाहे फ़ैक्ट्री का जनरल मैनेजर ही बाहर क्यों न जा रहो हो...हर पट्ठे की ठीक से ठोक-बजा कर तलाशी लो....और मानो चौकीदार भी खीसें निपोरते हुए चटखारे ले-ले कर तलाशी ले रहा हो...
ReplyDeleteआपका लेख पढ़ कर बेसाख्ता हंस पड़ा .
ReplyDeleteधन्यवाद . हंसी तो आज दुर्लभ है , उसे सुलभ करने के लिए .
2nd vote 4 this nice post .
ReplyDeleteha ha ha kuch panktiya aur dher sa hasy
ReplyDeleteक्रोध व पीड़ा की बजह से न कुछ पढ़ पा रहा हूं न लिख पा रहा हूं बस इतना ही कहूंगा
ReplyDelete' हे राम !, सत्यानाश हो इन आतंकवादियों का !
...यही तो मज़ा है ब्लॉगिंग का..हर रस और हर भाव, बेभाव हैं यहां....!
ReplyDeleteसत्य वचन!
ReplyDeleteहा-हा-- :)
ReplyDeleteमोडरेशन के लिए सभी के अपने तर्क हैं लेकिन पता नहीं क्यूं मुझे बड़ा अपमानित सा लगता है कि पहले तो किसी से टिप्पणी मांगो और फिर उसकी जांच कराओ। लगता है आपको विमर्श नहीं केवल समर्थन चाहिए। आपने अच्छा व्यंग्य लिखा है।
ReplyDeleteबस यही हाल अपना भी है!
ReplyDeleteबढ़िया महाराज बहुत बढ़िया ..............पर कुछ मजबूरियां है सो हम तो दरवाजे बंद ही रखना पसंद करते है !
ReplyDeleteदिल की बात कही आपने आभास कुछ इसी तरह होता है...मजेदार अनुभव..
ReplyDeletetippani moderation ke baare me apane aur uper bhi kai logo ne mere man ke bhavon ko vyakt kar diya hai.
ReplyDeletetippani moderation ke baare me apane aur uper bhi kai logo ne mere man ke bhavon ko vyakt kar diya hai.
ReplyDeleteहा हा हा……………क्या बात कही है।
ReplyDeleteवाह गोदियाल जी , मजा आ गयी आपके लेख में ।
ReplyDeleteसीधे टिप्पणियों को स्वीकारना वास्तविक लेखको की सामर्थ्य है ।
हम तो मंच के कवि हैं . तालियों और हूटिंग दोनो का स्वागत रोजमर्रा है ।
सत्यानाश हो इन आतंकवादियों का !
ReplyDelete.....हा हा हा .....
यहाँ जो दो बाते मेरे मन को अक्सर बहुत उद्वेलित करती है, ....
ReplyDeleteMujhe bhi pareshaan karti hain ye baatein..
गलत लिख गये हो गोदियाल जी, ’हे राम’ नहीं निक्लता होगा आपके मुंह से। जब हम कलप उठते हैं तो आप बिना फ़ूल बरसाये कैसे रह पाते होंगे? वैसे भी ये शब्द तो कॉपीराईटेड हैं।
ReplyDeleteमॉडरेशन वाली बात मस्त है आपकी और काजल कुमार जी का कमेंट, मजा आ गया।
आभार
hansaane kaa shukriyaa!!!
ReplyDeleteयात्रा का आनन्द हमारे हिस्से मे भी रहे ।
ReplyDeleteशुभ यात्रा ।