Tuesday, June 15, 2010

मन की !

आजकल यात्रा एवं अत्यधिक व्यस्तता की वजह से अपने ब्लॉग के लिए कुछ लिख पाने में असमर्थ हूँ , फिर भी जब भी वक्त मिलता है कंप्यूटर खोल टिपियाने बैठ जाता हूँ ! इस टिपियाने और ब्लॉग जगत का विचरण करने का भी अपना ही अलग मजा है ! यहाँ जो दो बाते मेरे मन को अक्सर बहुत उद्वेलित करती है, वह मैं आज आप लोगो को बताना चाहता हूँ ;
१.बी. एस पाबला साहब का
प्रिंट मीडिया पर ब्लॉगचर्चा
जिसमे जब कभी इस किस्म की हेडिंग पाबला साहब ने लिखी होती है कि " हरिभूमि में विस्फोट " तो मुह से तुरंत निकलता है ' हे राम !, सत्यानाश हो इन आतंकवादियों का !
२. मोडरेशन लगे किसी ब्लॉग पर टिपण्णी करो और उसके तुरंत बाद स्क्रीन पर आपको दिखाई दे कि " आपकी टिपण्णी ब्लॉग मालिक के पास भेज दी गई है, प्रमाणित होने पर दिखने लगेगी " इस चेतावनी को पढ़कर मुझे तो पहले ऐसा महसूस होता है मानो मैंने कोई गुनाह कर दिया हो, दूसरा ऐसे भी लगता है कई बार कि मानो मैं दिल्ली जलबोर्ड के दफ्तर के बाहर अपनी अर्जी लेकर खडा हूँ पानी सप्लाई बहाल करने की प्रार्थना लेकर !


बाई दी वे क्या आपको भी ऐसा कुछ महसूस होता है ?

27 comments:

  1. बहुत खूब चिकोटी काटी है जी अपने टिपण्णी मोडरेशन पर, मुझे तो यह शुरू से ही काफी कोफ़्त भरा लगता है

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  2. हा हा ऐसे ही छोटे aur मोटे विराधाभासो से जीवन बना है !

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  3. @हरिभूमि में विस्फोट " तो मुह से तुरंत निकलता है ' हे राम !, सत्यानाश हो इन आतंकवादियों का !
    हा हा हा ..... खूब मजे ले गए यहाँ भी >)

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  4. बिल्कुल सही कहा आपने।

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  5. " हरिभूमि में विस्फोट " तो मुह से तुरंत निकलता है ' हे राम !, सत्यानाश हो इन आतंकवादियों का !
    सही है!

    टिप्पणी मोडरेशन ज़िम्मेदार ब्लॉग्गिंग का एक अंश भर है.

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  6. " आपकी टिपण्णी ब्लॉग मालिक के पास भेज दी गई है, प्रमाणित होने पर दिखने लगेगी "...कभी कभी मुझे भी यूं लगता है जैसे फ़ैक्ट्री के मालिक ने गेट पर तैनात 1800 रूपये महीने के चौकीदार को कह रखा हो कि शाम को ड्यूटी ख़त्म करने के बाद चाहे फ़ैक्ट्री का जनरल मैनेजर ही बाहर क्यों न जा रहो हो...हर पट्ठे की ठीक से ठोक-बजा कर तलाशी लो....और मानो चौकीदार भी खीसें निपोरते हुए चटखारे ले-ले कर तलाशी ले रहा हो...

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  7. आपका लेख पढ़ कर बेसाख्ता हंस पड़ा .
    धन्यवाद . हंसी तो आज दुर्लभ है , उसे सुलभ करने के लिए .

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  8. ha ha ha kuch panktiya aur dher sa hasy

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  9. क्रोध व पीड़ा की बजह से न कुछ पढ़ पा रहा हूं न लिख पा रहा हूं बस इतना ही कहूंगा
    ' हे राम !, सत्यानाश हो इन आतंकवादियों का !

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  10. ...यही तो मज़ा है ब्लॉगिंग का..हर रस और हर भाव, बेभाव हैं यहां....!

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  11. मोडरेशन के लिए सभी के अपने तर्क हैं लेकिन पता नहीं क्‍यूं मुझे बड़ा अपमानित सा लगता है कि पहले तो किसी से टिप्‍पणी मांगो और फिर उसकी जांच कराओ। लगता है आपको विमर्श नहीं केवल समर्थन चाहिए। आपने अच्‍छा व्‍यंग्‍य लिखा है।

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  12. बढ़िया महाराज बहुत बढ़िया ..............पर कुछ मजबूरियां है सो हम तो दरवाजे बंद ही रखना पसंद करते है !

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  13. दिल की बात कही आपने आभास कुछ इसी तरह होता है...मजेदार अनुभव..

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  14. tippani moderation ke baare me apane aur uper bhi kai logo ne mere man ke bhavon ko vyakt kar diya hai.

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  15. tippani moderation ke baare me apane aur uper bhi kai logo ne mere man ke bhavon ko vyakt kar diya hai.

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  16. हा हा हा……………क्या बात कही है।

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  17. वाह गोदियाल जी , मजा आ गयी आपके लेख में ।
    सीधे टिप्पणियों को स्वीकारना वास्तविक लेखको की सामर्थ्य है ।
    हम तो मंच के कवि हैं . तालियों और हूटिंग दोनो का स्वागत रोजमर्रा है ।

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  18. सत्यानाश हो इन आतंकवादियों का !
    .....हा हा हा .....

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  19. यहाँ जो दो बाते मेरे मन को अक्सर बहुत उद्वेलित करती है, ....

    Mujhe bhi pareshaan karti hain ye baatein..

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  20. गलत लिख गये हो गोदियाल जी, ’हे राम’ नहीं निक्लता होगा आपके मुंह से। जब हम कलप उठते हैं तो आप बिना फ़ूल बरसाये कैसे रह पाते होंगे? वैसे भी ये शब्द तो कॉपीराईटेड हैं।
    मॉडरेशन वाली बात मस्त है आपकी और काजल कुमार जी का कमेंट, मजा आ गया।

    आभार

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  21. यात्रा का आनन्द हमारे हिस्से मे भी रहे ।
    शुभ यात्रा ।

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प्रश्न -चिन्ह ?

  पता नहीं , कब-कहां गुम हो  गया  जिंदगी का फ़लसफ़ा, न तो हम बावफ़ा ही बन पाए  और ना ही बेवफ़ा।