Tuesday, June 1, 2010

जवानो के लिए मौत बिछवा रही है सरकार !

ज्यों-ज्यों समय बीतता जा रहा है, माओवादियों और नक्सलियों के देशभर के करीब २० राज्यों में फैलते जा रहे जाल और केंद्र सरकार की इस ओर बरती जा रही बेहद उदासीनता पूर्ण नीति के चलते, आने वाले समय में हमारे सुरक्षा बलों के जवानों के लिए इन राज्यों में किसी भी तरह की आवाजाही न सिर्फ उनकी जान के लिए बल्कि आम नागरिकों के जीवन के लिए भी एक गंभीर ख़तरा बनती जा रही है! सरकार यह भली प्रकार से जानती है कि ये आतंकवादी किसी भी नेक इरादे से शांति वार्ता के लिए कभी भी आगे नहीं आयेंगे! दूसरी तरफ, किसी सैन्य कार्यवाही के लिए इनके मंत्रियों के विवादास्पद और परस्पर विरोधी बयानों की चलते, इन आतंकवादियों को अपनी गुरिल्ला गतिविधियों के लिए संगठित होने और निरंतर तैयारी का मौका मिल रहा है ! यूँ तो बहुत पहले से ही ये आतंकवादी बिहार झारखंड, उड़ीसा, प. बंगाल और छतीसगढ़ के घने जंगलो को जाने वाले सभी तरह के मार्गों पर बारूदी सुरंगे बिछाए रखे है, मगर हाल के लालगढ़ की सुरक्षाबलों की कार्यवाही के अनुभवों के आधार पर अब ये लोग अपनी घात लगा कर हमला करने की किसी भी तैयारी में कोई चूक नाहे होने देना चाहते और उसे और मजबूत करने में जुट गए है ! आपका ध्यान पिछले नवम्बर में माओवादियों की सैन्य शाखा के मुखिया और केन्द्रीय कमेटी के सदस्य कदरी सत्य नारायणराव जो कि कोसा के नाम से ज्यादा कुख्यात है, ने कहा था कि " जिस तरह छोटी-छोटी चींटियाँ किसी सांप पर चारों तरफ से एक साथ हमला करती है, हम भी वही नीति सुरक्षा बलों के खिलाफ अपनाएंगे "! आज इन आतंकवादियों ने अपने विभिन्न माध्यमों के जरिये हर तरह के हथियार इकठ्ठे कर लिए है, और स्थानीय लोगो को अपनी झूठी हमदर्दी का शिकार बनाकर और एक सोची समझी नीति के तहत स्थानीय युवाओं को अपने कैडरों में भर्ती कर उन लोगो का लॉजिस्टिक सहयोग भी प्राप्त कर रहे है, खासकर बस्तर के इलाके में यह बात ध्यान में रखनी होगी कि जिन स्थानीय आदिवासियों के बच्चे इनके केडर में भर्ती है, वे लोग सुरक्षाबलों के लिए गंभीर चुनौती खडी कर सकते है!

समझ में नहीं आता कि जब यह बात लगभग स्पष्ट है कि इनकी नीयत किसी शांति की नहीं है! ये इस देश में एक नेपाल जैसी अराजकता की स्थिति खडी करने के पक्ष में है , तो फिर इन्हें मोहलत देकर सरकार क्यों इनके जरिये अपने जवानों के लिए ही मौत की सामग्री इकठ्ठा करवा रही है? यदि समस्या का हल सैन्य कार्यवाही ही है तो इसमें देर किस बात की ? और एक बात, यदि सरकार को जल्दी सद्बुद्धि आये और जब सैन्य कार्यवाही करे, तो बांछित परिणाम पाने हेतु सर्वप्रथम कार्यवाही को दिल्ली की उस यूनिवर्सिटी के पास से शुरू किया जाना चाहिए,जहां कि इस "वाद" की जड़ को अपनी कोख में पालने वाली "सरोगेट मदर" निवास करती है!

19 comments:

  1. sahi kaha sir par rajneeti bhi to karni hai...mamta banerjee ne abhi cbi jaanch ki baat keh to di par kendra idhar udhar ki baatein kar raha hai...kahin koi maovaadion ke naam par apni rotiyan to nahi senk raha...karna to kuch sarkar ko hi padega kyunki aam aadmi nahi aa sakta haath me hathiyaar liye...sena ko chhoot do aur bhejo...for dekhte hain..sach kya hai

    ReplyDelete
  2. शायद ये सरकार सोच रही हो कि इनके खिलाफ जो निर्दोष मारे जा रहे है वो ही एंटी-नक्सलवाद शुरू कर दे,या फिर हमारी सेना पाकिस्तान की तरह तख्ता-पलट कर के खुद कार्यवाही कर दे,या फिर...जो कुछ भी,

    जो मर रहा है या मरेगा इनका है कौन.....अरे इनका भी होता तो क्या होता.....अपने घर के मुखिया को मारने वालो के साथ तक तो इन्होने कुर्सी-मोह में गलबाहें की.....फिर इस देश के अन्य नागरिक या सैनिक की क्या औकात होगी इनकी नजरो में,क्या पता नहीं चलता...आश्चार्य तो उनके लिए होता है जो इसी देश के है पर साथ है विदेशी सोच के....हम अपने घर के बारे सोचने की बजाये विदेशियों का मुह ताक रहे है....वैसे हम कर भी क्या सकते है....एक दुसरे की चुगली....थोडा अपना फायदा,वो भी नहीं तो दुसरे का नुक्सान.....):):

    कुंवर जी,

    ReplyDelete
  3. तो बांछित परिणाम पाने हेतु सर्वप्रथम कार्यवाही को दिल्ली की उस यूनिवर्सिटी के पास से शुरू किया जाना चाहिए,जहां कि इस "वाद" की जड़ को अपनी कोख में पालने वाली "सरोगेट मदर" निवास करती है!

    गोदियाल जी ,
    आपकी इस बात का तात्पर्य नहीं समझ में आया...

    सार्थक लेख

    ReplyDelete
  4. संगीता जी , अभी दंतेवाडा में ७६ जवानो की मौत का जश्न जहां पर मनाया गया था, उसी जगह और उसे सरोगेट मदर की बात कर रहा हूँ !

    ReplyDelete
  5. हां बिल्‍कुल सही कहा आपने, सार्थक प्रस्‍तुति ।

    ReplyDelete
  6. शीर्षक ही खुद-ब-खुद बयान कर रहा है स्थिति को.. शायद किसी विद्रोह का इन्तजार कर रही है सरकार...

    ReplyDelete
  7. सबसे ज्वलंत समस्या है........कुछ कड़े कदम उठाने ही होंगे सरकार को...ऐसे तो काम नहीं चलेगा...!

    ReplyDelete
  8. @ द्र सरकार की इस ओर बरती जा रही बेहद उदासीनता पूर्ण नीति के चलते, आने वाले समय में हमारे सुरक्षा बलों के जवानों के लिए इन राज्यों में किसी भी तरह की आवाजाही न सिर्फ उनकी जान के लिए बल्कि आम नागरिकों के जीवन के लिए भी एक गंभीर ख़तरा बनती जा रही है!
    --- मूलभूत समस्या पर बात होती नहीं। उन्हें हल करने के बारे में प्रयास किए जाते नहीं। उनके आंदोलन को क़ानून-व्यवस्था की समस्या बता दिया जाता है। फिर सैनिक कार्रवाई कर दी जाती है। हो गया समस्या का हल।

    ReplyDelete
  9. ये निकम्मी सरकार कुछ नही करेगी .. जब देश की जनता कुछ करने को तैयार नही है तो सरकार काहे करे ... वो तो लोगों द्वार ही चुनी गयी है .... सत्ता की राजनीति देश के कुछ और टुकड़े करवा कर दम लेगी ... नेताओं के लिए आन जनता की कीमत कीड़े मच्छरों से ज़्यादा नही है ... आज भी ममता, बुध देव, ग्रह मंत्री अलग अलग ज़बान में बात कर रहे हैं ... अपनी अपनी राजनीति की बिसात खेल रहे हैं ...

    ReplyDelete
  10. बिल्कुल सहमत हूँ आपसे

    ReplyDelete
  11. इस देश का क्या होगा राम जाने......

    ReplyDelete
  12. bilkul sahi kahaa sir aapne., mujhe lagta hai kucch our mouton ke baad police bhi in khetro me jane se refuse kar degi.......fir army ko hi police ka kaam bhi dekhna hoga.desh ko naxalites jitana khatara police se bhi hai.

    ReplyDelete
  13. सरकार गंभीर चिंतन कर रहे है जी.. और हम जैसे बेवकूफ समझ रहे हैं कि आँख बंद कर सोयी है.. :P

    ReplyDelete
  14. गोदियाल जी आपकी एक-एक बात सही है साथ ही सह भी सही है इन सब गद्दारों की जनक व पोसक ये सेकुलर सरकार ही है इसीलिए हमने कहा था कि सैनिक शाशन ही एकमात्र हल है आशा है।
    आज हर तरह से आतंकवादियों से लड़ने वाले वो चाहे सोनिक हों या फिर पुलिस के जवान या फिर देशभक्त इस गद्दारों की सरकार द्वारा प्रताड़ित किए जा रहे हैं।

    ReplyDelete
  15. विचारणीय आलेख....त्वरित चिन्तन का विषय है.

    ReplyDelete
  16. इस समस्या पर सार्थक पोस्ट ,,,

    ReplyDelete
  17. गौदियाल साहब, सरकारें आती रही हैं..ओर आगे भी पता नहीं कौन कौन सी आते रहेंगी लेकिन न किसी को देश की फिक्र हुई है ओर न ही होने वाली है....देश जाए भाड में, बस अपना उल्लू सीधा होना चाहिए.

    ReplyDelete
  18. समस्या चिंता वाली है।

    ReplyDelete
  19. अपनी अपनी राजनीति की बिसात खेल रहे हैं ..

    ReplyDelete

प्रश्न -चिन्ह ?

  पता नहीं , कब-कहां गुम हो  गया  जिंदगी का फ़लसफ़ा, न तो हम बावफ़ा ही बन पाए  और ना ही बेवफ़ा।