तट की महीन रेत और
लहरों के शीतल संस्पर्श पर
लगने वाली वो
सप्ताहिक प्रणय -हाट !
सप्ताहिक प्रणय -हाट !
उस छोटे से
मोहब्बत के बिसातखाने पर
तुम्हारी परवशता,
और बिना मोले-तोले ही
आलिंगन का वो गर्मजोशी भरा
भाव तुम पर उडेला जाना !
भाव तुम पर उडेला जाना !
गुजरी सदी के उन
अफसानो से कह दो कि
वक्त-वेवक्त आकर,
अफसानो से कह दो कि
वक्त-वेवक्त आकर,
अब और न
मेरे दिल के किवाडों पे
दबिश दिया करें।
छवि गूगल से साभार !
गुजरे जमाने के अफसाने छेड़ते हैं, हालात के हवाले हम उन्हें लतेड़ते हैं।
ReplyDeleteकुछ मधुर सा उकेर तो जाते हैं पर वापस भरने में समय लगता है।
ReplyDeleteखूबसूरत एहसास सँजोये स्मृतियाँ ।
ReplyDeleteबहुत ही उम्दा, शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज मंगलवार (16-04-2013) के मंगलवारीय चर्चा ---(1216) ये धरोहर प्यार की बेदाम है (मयंक का कोना) पर भी होगी!
नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ!
सूचनार्थ...सादर!
खुबसूरत लम्हे संजोये
ReplyDelete'मैया का चोला'[लखबीर सिंह लख्खा]
गुजरी सदी के
ReplyDeleteउन अफसानो से कह दो
कि वक्त-वेवक्त आकर,
इसतरह अब और न
मेरे दिल के किवाडों पे
दबिश दिया करें।। ..
उफ़ ... गज़ब का एहसास लिए ... दस्तक की गुदगुदी महसूस करती हुई रचना ... आज तो मज़ा ही आ गया ... कुछ नए रंग नज़र आ रहे हैं मिजाज में ...
खूबसूरत लम्हें कभी न कभी दिल पर दस्तक देने पहुँच ही जाते हैं ...
ReplyDeleteबहुत बढ़िया
वाह! बहुत सुन्दर रचना | ह्रदय पुलकित हो उठा कविता पढ़कर | आभार
ReplyDeleteकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
वाह..
ReplyDeleteशुभकामनायें आपको !!