Friday, April 5, 2013

वो आवाज भी बदलेंगे और अंदाज भी !



चोरी का माल खाके, हुए बदमिजाज भी,   
वो जो बेईमान भी है  और दगाबाज भी।
  
मिला माल लुच्चे-लफंगों को मुफ्त का, 
घर-लॉकर भी भर दिए, मेज दराज भी। 

इख्तियार की मद में,वो ग्रीवा की  ऐंठन,
रोग-ग्रस्त चले आ रहे,  है वो आज भी।

तनिक जो तरफदार उनके सुधर जाएँ,
वो आवाज भी बदलेंगे और अंदाज भी।


उतरेगा सुरूर उनके माथे से 'परचेत'
तबियत शिथिल  होगी, नासाज भी।


इख्तियार=सत्ता  

7 comments:

  1. बहुत करारा व्‍यंग्‍य इस माध्‍यम से।

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  2. BAHUT SUNDAR ABHIBYAKTI LEKIN JAB WE SAMJHE.

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  3. आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार (6-4-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
    सूचनार्थ!

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संशय!

इतना तो न बहक पप्पू ,  बहरे ख़फ़ीफ़ की बहर बनकर, ४ जून कहीं बरपा न दें तुझपे,  नादानियां तेरी, कहर  बनकर।