पैदाइशी गूंगों को भी भरी महफ़िल में मुह खोलते देखा है,
गम से भरे गिलासों में ख़ुशी को इंच-इंच तोलते देखा है,
कौन कहता है कि हरतरफ सिर्फ झूठ का ही बोलबाला है,
हमने मयकदे में बैठे हुए हर शख्स को सच बोलते देखा है।
फुटपाथ पर सोया हुआ एक मजदूर
अचानक हड़बड़ाते हुए जागा,
पास से गुजरते हुए मैंने
जब पूछा कि क्या हुआ ?
मुस्कुराता हुआ बोला,
कुछ नहीं साहब, हम जैसे कमबख्त लोग
सपने भी तो उन महलों के देखते है,
जहां अमीरों को नींद नहीं आती।
हर मर्ज का इलाज न रखना,
असूल है दवाखाने का,
क्योंकि उसे भी ख्याल रहता है
'भ्रातृश्री' मयखाने का।
शुभचिंतक जब ये समझा रहे थे कि बेटा, सब्र का फल मीठा होता है,
तभी, जो खुशनुमा वक्त अपने साथ था, वो भी चुपके से निकल गया।
गम से भरे गिलासों में ख़ुशी को इंच-इंच तोलते देखा है,
कौन कहता है कि हरतरफ सिर्फ झूठ का ही बोलबाला है,
हमने मयकदे में बैठे हुए हर शख्स को सच बोलते देखा है।
फुटपाथ पर सोया हुआ एक मजदूर
अचानक हड़बड़ाते हुए जागा,
पास से गुजरते हुए मैंने
जब पूछा कि क्या हुआ ?
मुस्कुराता हुआ बोला,
कुछ नहीं साहब, हम जैसे कमबख्त लोग
सपने भी तो उन महलों के देखते है,
जहां अमीरों को नींद नहीं आती।
हर मर्ज का इलाज न रखना,
असूल है दवाखाने का,
क्योंकि उसे भी ख्याल रहता है
'भ्रातृश्री' मयखाने का।
शुभचिंतक जब ये समझा रहे थे कि बेटा, सब्र का फल मीठा होता है,
तभी, जो खुशनुमा वक्त अपने साथ था, वो भी चुपके से निकल गया।
शुभचिंतक जब ये समझा रहे थे कि बेटा, सब्र का फल मीठा होता है,
ReplyDeleteतभी, जो खुशनुमा वक्त अपने साथ था, वो भी चुपके से निकल गया।
..बहुत सुन्दर ...
वाह ... आपके व्यंग की धार कमाल है ...
ReplyDeleteI am happy by reading this.
ReplyDeleteGyaan
I like it very much thanks for sharing..