Friday, December 27, 2019

दिल्ली-एनसीआर

ये दिल्ली-एनसीआर,
अजीब शहर है यार।
सिर्फ़ प्रदूषण अखण्ड,
बाकी सब खण्ड-खण्ड।
राजस्थानी रेत तपे, पडे गर्मी,
पहाड़ों मे हिम पडे तो ठंड।
बरसात मे चौतरफ़ा सैलाब,
तुनकमिजाज आफ़ताब ।
सर्दियों मे धुंध प्रचण्ड,
गर्मियों की लू झण्ड ।
कडक जुबां,
सडक व्यापार,
सिर्फ और सिर्फ
पैसों का प्यार।
ये दिल्ली-एनसीआर,
अजीब शहर है यार।।

              

5 comments:

वक्त की परछाइयां !

उस हवेली में भी कभी, वाशिंदों की दमक हुआ करती थी, हर शय मुसाफ़िर वहां,हर चीज की चमक हुआ करती थी, अतिथि,आगंतुक,अभ्यागत, हर जमवाडे का क्या कहन...