मर्ज़ रिवाजों पे, कोरोना वायरसों का सख्त पहरा हैं,
एकांत-ए-लॉकडाउन मे, दर्द का रिश्ता, बहुत गहरा है,
थर्मोमीटर-गन से ही झलक जाती है जग की कसमरा,
न मालूम ऐ दोस्त, कौनसी उम्मीदों पे, ये दिल ठहरा है ।
एकांत-ए-लॉकडाउन मे, दर्द का रिश्ता, बहुत गहरा है,
थर्मोमीटर-गन से ही झलक जाती है जग की कसमरा,
न मालूम ऐ दोस्त, कौनसी उम्मीदों पे, ये दिल ठहरा है ।
बढ़िया मुक्तक
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