Sunday, September 20, 2020

कोरोना विडंबना

 गले लगाया है तेरी जुल्फो़ंं की मोहब्बत ने, 

जबसे तन्हाइयों को,

 गाहक मिलने ही बन्द हो गये, 'परचेत' 

तमाम शहर के नाइयों को।

5 comments:

  1. मन की बात
    क्या कटाक्ष मारा है।
    😂😂
    नई रचना आत्मनिर्भर

    ReplyDelete
  2. हा हा सही कहा है आपने ... डर लगता है नाइयों के पास जाने में अब ....

    ReplyDelete

प्रश्न -चिन्ह ?

  पता नहीं , कब-कहां गुम हो  गया  जिंदगी का फ़लसफ़ा, न तो हम बावफ़ा ही बन पाए  और ना ही बेवफ़ा।