हो चाहे जितनी भी मुहब्बत
तुझको संजय रौत से,
करे जितनी भी नफ़रत
तू कगंना रणौत से,
देखना,सत्ता का ये गुरूर,
तुम्हें ले डूबेगा हुजूर ।
...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
जीवन रहन गमों से अभिभारित, कुदरत ने विघ्न भरी आवागम दी, मन तुषार, आंखों में नमी ज्यादा, किंतु बोझिल सांसों में हवा कम दी, तकाजों का टिफिन पक...
कौन डूब रहा है हजूर? :) हवा भरे भी डूबे हैं कभी ?
ReplyDeleteसही कहा, सर जी😀
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