हमने चेहरे पे मास्क क्या लगाया 'परचेत',
कुछ नादां हमें बेजुबांं समझ बैठे,
फितरतन, चुप रहने की आदत तो न थी,
क्या करे, बेवश थे चीनी तोहफे़ के आगे।
...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
ये सच है, तुम्हारी बेरुखी हमको, मानों कुछ यूं इस कदर भा गई, सावन-भादों, ज्यूं बरसात आई, गरजी, बरसी और बदली छा गई। मैं तो कर रहा था कबसे तुम...
मैनें होंठो से लगाई तो हंगामा हो गया टाईप :) :) क्या?
ReplyDeleteहम्म।
ReplyDeleteदबोच लिया है दुनियां को इसने तो।
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (23-09-2020) को "निर्दोष से प्रसून भी, डरे हुए हैं आज" (चर्चा अंक-3833) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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आभार, आप सभी का।🙏
ReplyDeleteचिंतनीय
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