Tuesday, December 29, 2020

कटु सत्य।

लगे हैं जो मेरे शब्द तुमको अप्रिय, 

निकले न मेरे मुंह से होते,

ऐ प्रिये, जबरन जो मेरे मुंह मे 

अपने शब्द, तुमने न ठूंसे होते।

12 comments:

  1. सार्थक रचना।
    आने वाले नूतन वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ।

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  2. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 31.12.2020 को चर्चा मंच पर दिया जाएगा| आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी
    धन्यवाद

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  3. जबरन जो मेरे मुंह मे

    अपने शब्द, तुमने न ठूंसे होते...बहुत सुंदर सर।

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  4. नव वर्ष शुभ हो सभी के लिये सपरिवार। मंगलकामनाएं।

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    1. सर, नूतनबर्ष की हार्दिक शुभकामनाए, आप और आपके सभी परिवारजनों को।

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  5. हाँ,कभी कभी ना चाहते हुए भी मुँह से निकल ही जाती कुछ बातें,आपको और आपके समस्त परिवार को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं

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    1. आपको भी मंगलमय नूतनबर्ष की कामना।🙏

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  6. आभार, खरे सहाब। नवबर्ष की आपको हार्दिक शुभकामनाएं।

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  7. सुन्दर - - नूतन वर्ष की असीम शुभकामनाएं।

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प्रश्न -चिन्ह ?

  पता नहीं , कब-कहां गुम हो  गया  जिंदगी का फ़लसफ़ा, न तो हम बावफ़ा ही बन पाए  और ना ही बेवफ़ा।