...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
अपने तमाम एहसास हमने,
कुछ यूं लफ्जो़ मे पिरोए हैं,
तुम साथ तो चेहरे पे मुस्कुराहट बिखेरी,
और अकेले मे रोए हैं।
जी नमस्ते ,आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरुवार(१८-११-२०२१) को ' भगवान थे !'(चर्चा अंक-४२५२) पर भी होगी।आप भी सादर आमंत्रित है। सादर
उम्दा, हृदय स्पर्शी!
आभार, आपका🙏
लाजवाब
Thanks, Sir ji.
सनक किस बात की, जुनून किस बात का? पछतावे की गुंजाइश न हो, शुकून किस बात का?
जी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरुवार(१८-११-२०२१) को
' भगवान थे !'(चर्चा अंक-४२५२) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
उम्दा, हृदय स्पर्शी!
ReplyDeleteआभार, आपका🙏
ReplyDeleteलाजवाब
ReplyDeleteThanks, Sir ji.
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