स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर इस ब्लॉग जगत पर काफी लोगो के लेख पढ़े! ऐसा ही एक सूक्ष्म लेख पढ़ा, जिसमे लेखक का मानना था कि आज इस देश में सबसे पहले हिन्दू एकता की जरूरत है! मेरी अंतर्रात्मा से तुंरत एक आवाज आई कि यह एक नामुमकिन सी बात है! इसके पीछे कारण चाहे जो भी हो, लेकिन सभी लोग यहाँ मिथ्या-भरम में ही जी रहे है! हाल के दिनों में इसी ब्लॉग जगत पर एक मुस्लिम जगत के तथाकथित विद्वान् के महान विचार भी पढ़े, जिसमे कि एक अहम् बात उन्होंने कही कि वे भी एक हिन्दू है, क्योंकि हिन्दुस्तान में रहने वाला हर एक नागरिक हिन्दू है! अगर उनकी बात को एकदम सत्य मान लिया जाए तो फिर ज़रा सोचिये कि इस देश के लोग मुर्खता के कितने बड़े अन्धकार में डूबे बैठे है ! फिर अचानक नजर उस समाचार की और गया, जिसमे अमेरिका की एक तथाकथित अल्पसंख्यको की रक्षा संस्था द्बारा भारत को उन देशो की श्रेणी में रखे जाने की खबर थी, जो अल्पसंख्यको को पूर्ण संरक्षण नहीं दे पाते ! उस तथाकथित सस्था का साफ़ तौर पर इशारा कंधमाल में ईसाइयों के साथ हुई हिंसा की और है, मगर क्या वह संस्था निम्नांकित आंकडो को देखने के बाद भी अपनी राय पर कायम रहेगी कि इस देश में वास्तविक तौर पर अल्प्संखयक कौन है?
जैसा कि मैंने ऊपर कहा कि अगर इस बात को मान लिया जाए कि हिन्दुस्तान में रहने वाला हर नागरिक हिन्दू है तो फिर इस देश का वास्तविक अल्प्संखयक कौन है, और नकली अल्पसंख्यक बनकर अल्पसंख्यको वाले कल्व का लुफ्त सही मायने में कौन उठा रहा है ! १९९१ की देश की जनगणना के आंकडो पर अगर नजर डाले तो कुल आवादी ८४,६३,०२, ६८८ थी, जो २१.४ % की अनुमानित दर से बढ़कर २००१ में १,०२,७०,१५,२४७ हो गई ! अब आये देखे कि उस आवादी में जो इस देश में मौजूद विभिन्न धर्मो और जातियों का प्रतिशत था उसी को लगभग आधार मानकर यह मान ले कि आज की तारीख में देश की कुल आवादी लगभग एक अरब बीस करोड़ है ! एवं मान लो कि यहाँ पर हिन्दू नाम का कोई धर्म नहीं, सिर्फ इस देश में चार धर्म; मुस्लिम, सिख, ईसाई और बौध है तथा कुछ जातिया है जो इस कुल आवादी का प्रतिनिधित्व १९९१ एवं २००१ की जनगणना के प्रतिशत की आधार पर निम्न लिखित समीकरण बनाती है:
जैसा कि मैंने कहा कि आज की अनुमानित आवादी = १,२०,०००००००० (एक अरब बीस करोड़ )
धर्म:
कुल आवादी का मुस्लिम प्रतिशत (१५ %) .= १८,००,००००० (अठारह करोड)
कुल आवादी का सिख प्रतिशत (२.२ %) = २,६४,००००० (दो करोड़ चौसट लाख)
कुल आवादी का ईसाई प्रतिशत (३.१ %) = ३,७२,००००० (तीन करोड़ बहतर लाख)
कुल आवादी का बौध प्रतिशत (१%) १,२०,००००० (एक करोड़ बीस लाख )
जाति:
पिछडी जातिया कुल आवादी का प्रतिशत (३७ %) ४४,००००००० ( चवालीस करोड़ )
अनुसूचित जाति कुल आवादी का (१६.२ % ) १९,५०,००००० (साडे उन्नीस करोड़ )
अनुसूचित जन जाति कुल आवादी का (८.५%) १०,२०,००००० (दस करोड़ बीस लाख )
वैश्य जाति कुल आवादी का (१% ) १,२०,००००० (एक करोड़ बीस लाख )
क्षत्रिय जाति कुल आवादी का (९ % ) १०,८०,००००० ( दस करोड़ अस्सी लाख)
ब्राह्मण जाति कुल आवादी का (४.३२ %) ५,१८,००००० (पांच करोड़ अठारह लाख)
अन्य धर्म /जातियाँ जैसे यहूदी, जैन इत्यादि २,५०,००००० (ढाई करोड़ )
अन्य मानव प्रजातिया जैसे हिजडा/ साधू कुछ आदिवासी इत्यादि ५०,० ०००० (पचास लाख )
( नोट: सभी आंकडे केवल अनुमानित है, इन्हें अन्यथा न लिया जाए)
अब आप उपरोक्त आंकडो पर खुद गौर फ़रमा कर सहज अंदाजा लगा सकते है कि इस देश में वास्तविक अल्पसंख्यक कौन है, और मिथ्या आंकडो के तहत अल्प्संखयक होने का असली लुफ्त कौन उठा रहा है ! साथ ही जानकारी के लिए यह भी बता दू कि इन तथाकथित उच्च जाति में क्षत्रियों की आवादी का ५० % से अधिक और ब्राह्मणों की आवादी का ४५ % से अधिक जनसंख्या गरीबी की रेखा से नीचे जीवन-यापन कर रहे है, और बेरोजगार है !
मेरा भारत महान ! आप सभी को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाये !
...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
वक्त की परछाइयां !
उस हवेली में भी कभी, वाशिंदों की दमक हुआ करती थी, हर शय मुसाफ़िर वहां,हर चीज की चमक हुआ करती थी, अतिथि,आगंतुक,अभ्यागत, हर जमवाडे का क्या कहन...

-
नोट: फिलहाल टिप्पणी सुविधा मौजूद है! मुझे किसी धर्म विशेष पर उंगली उठाने का शौक तो नहीं था, मगर क्या करे, इन्होने उकसा दिया और मजबूर कर द...
-
स्कूटर और उनकी पत्नी स्कूटी शहर के उत्तरी हिस्से में सरकारी आवास संस्था द्वारा निम्न आय वर्ग के लोगो के लिए ख़ासतौर पर निर्म...
-
You have chosen sacred silence, no one will miss you, no one will hear your cries. No one will come to put roses on your grave wit...
आप की बात एकदम सही है....विचारोत्तेजक और सोचने को मजबूर करता बहुत अच्छा लेख....बहुत बहुत बधाई....बस लाजवाब ही कह सकता हूँ...
ReplyDeleteविचारोतेजक आलेख्!!
ReplyDeleteइसका तात्पर्य ये हुआ कि हम लोग नाहक ही अपने आपको बहुसंख्यकों की श्रेणी में मानते चले जा रहे थे। चलिए आज से हम भी अल्पसंख्यक हो गये,शायद इसी बहाने कुछ तो लाभ मिलेगा:)