यह भी सच है कि हमारे इस लोकतंत्र की पुलिस भी भ्रष्ट तरीके अपनाना जानती है और अपनी पीठ थपथपाने के लिए किसी निर्दोष को दोषी करार देकर मीडिया के समक्ष प्रस्तुत कर दे ! लेकिन अगर ऐसा होता है तो उसके लिए भी यह कानून हो कि यदि किसी निर्दोष को दोषी बताकर गलत तरीके से फसाया गया हो तो यह मालूम पड़ने पर कि वह निर्दोष है, वही प्रक्रिया अपनाकर मीडिया और संचार माध्य्मो के जरिये उसके निर्दोष होने की बात जनता तक पहुचाई जाए ! और इसकी संख्या का अगर हम आंकलन करे तो १०० में से ५ % केस ही ऐसे सामने आते है ! इसका जो हवा खडा किया गया है वह उन्ही अपराधी तत्वों और अपराध जगत से जुड़े लोगो ने किया है, जो अपने फायदे के लिए इन कानूनों का बेजा इस्तेमाल करते है ! इसी का परिणाम है कि अपराधी आज बेखौफ होकर घूम रहे है ! पुलिस का मनोबल गिर रहा है, इमानदार पुलिस अफसर अपना फर्ज अदा करने से कतराते है, क्योंकि उन्हें भी अपने बीबी-बच्चे पालने होते है ! और इसके लिए भ्रष्ट नेतावो और अफसरों के साथ-साथ मीडिया एवं संचार माध्यम भी उतने ही जिम्मेदार है, जोकि ऐसी स्थिति में जबकि पुलिस किसी अपराधी को गिरफ्तार करती है अथवा मुठभेड़ में मार गिराती है ( कुछ अपवादों को छोड़कर जिनमे मीडिया की भूमिका सराहनी कही जा सकती है ) लोगो तक समाचार पहुँचाने की भुमिका में कम और जांच ऐजेंसी की भुमिका में अधिक नजर आने की कोशिश हरदम करते रहते है !
आज जरुरत इस बात की है कि हमारे मौजूदा कानूनों में मूलभूत परिवर्तन किये जाए, ताकि आम नागरिक सुरक्षित महसूस कर सके, न कि अपराधी !
अब तो हर मुजरिम पुलिस हिरासत में भी मुस्कुराता/हंसता दिखाई देता है। बरी हुआ तो नेता बन जाता है और कानून बनाता है। तो कानून से क्या उम्मीद करें?????
ReplyDeleteबात आपकी बिल्कुल सही है, लेकिन कानून व्यवस्था बदलना इतना आसान नही है।
ReplyDeleteshi kaha hai aapne .
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