हे कृष्ण-कन्हैया,आ भी जाओ,
कुछ धीर बचा न शेष है,
जरुरत महसूस कर रहा तुम्हारी
फिर अरसे से यह देश है।
चाहे आओ बनकर ग्वाला,
या बनकर के फिर नंदलाला,
देबकीनंदन सुत बन आओ,
या बनके अनुरागी बृजबाला।
बस आ जाओ धरकर के वो ,
जो तुम्हारा अवतारी भेष है,
जरुरत महसूस कर रहा तुम्हारी
फिर अरसे से यह देश है।
ईमान-निष्ठा सब नष्ट हो गए,
झूठ-फरेब मे उलझे सब हैं,
धर्म-गुरु ही भ्रष्ट हो गए।
व्यभिचार के दल-दल में डूबे,
दरबारी और नरेश है,
जरुरत महसूस कर रहा तुम्हारी
फिर अरसे से यह देश है।
- सभी पाठकों को मेरी तरफ से जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाये !
श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ। जय श्री कृष्ण!!
ReplyDelete----
INDIAN DEITIES
बहुत सुंदर रचना .. इतना मन से बुलाएंगे .. तो कान्हा जरूर आ जाएंगे .. .. आपको जन्माष्टमी और स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाईयां !!
ReplyDeleteपूरी ब्लॉग बुलेटिन टीम की ओर से आप सभी को श्री कृष्णजन्माष्टमी की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनाएँ !
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन कृष्ण जन्म सबकी अंतरात्मा में हो मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
न जाने कृष्ण अवतार लेने के लिए किस बात का इंतज़ार कर रहे हैं .... बहुत सुंदर प्रस्तुति ... 2009 से पुकार कर रहे हैं पर अभी तक कान्हा ने पुकार नहीं सुनी आपकी । इस पुकार में मैं भी शामिल हूँ :)
ReplyDeleteबहुत उत्कृष्ट अभिव्यक्ति..श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई और शुभकामनायें!
कभी यहाँ भी पधारें
http://saxenamadanmohan.blogspot.in/
http://saxenamadanmohan1969.blogspot.in/
♥ जयश्री कृष्ण ! ♥
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श्री कृष्ण जन्माष्टमी की बधाइयां और शुभकामनाएं !
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व्यभिचारी दल-दल में डूबे,
दरबारी और नरेश है,
जरुरत महसूस कर रहा तुम्हारी
अरसे से फिर यह देश है।
वाह जी वाह ! अच्छा लिखा...
:)
पी.सी.गोदियाल "परचेत"जी
सामयिक सुंदर रचना के लिए साधुवाद