अमित गुप्ता जी से मिले ५५ शब्दों वाली कहानी (55 Fiction stories) के आइडिया से प्रेरित हो कुछ कहानिया यहाँ पेश है :
माँ:- बेटा, दुनिया बेईमान है! खरीदने से पहले ठीक से देख-परख लेना!
माँ की हिदायतों के अनुरूप बेटे ने संतुष्ट हो बैल खरीद लिया! घर लौटते, रास्ते में एक तालाब पडा, बैल को पानी पिलाने लगा, पानी पीते हुए बैल पेशाब भी करने लगा, यह देख, वह चीखा, धोखा ! बैल में तो रिसाव(लीकेज) है... !
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रोज-रोज की सासू की मार से सहमी नंदिता ने पिछले दो दिनों से सावधानी पूर्वक कोई भी ऐसी गलती नहीं की कि सास को उसे मारने का बहाना मिलता ! वह खुश थी, आज मार नहीं पडी ! शाम को आटा गूंद रही थी, कि तभी पीछे से सास की लात पडी कि आटा गूंदते हिलती क्यों है.... ?
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सब उग जाता, सिर्फ नमक लेने शहर जाना पड़ता ! दोनों भाइयों ने सोचा, नमक खेत में बोकर देखते है ! महीनो हुए नमक नहीं उगा, खेत खोदकर देखा, नमक पर तिलचट्टे (ग्राशोपर्स ) लगे थे, क्रोधित हो, तिल्चट्टों पर गोलिया बरसाई ! एक तिलचट्टा उछलकर सीने पर जा बैठा, दूसरे भाई को इशारा किया, इस्स्स्स्स्स,
और दूसरे भाई ने बिना देर किये ठाँ......!
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बाहर बर्फ और कडाके की सर्दी थी, सातो भाई सोने के लिए रजाई में दुबक गए! दरवाजा तो खुला रह गया, कौन बंद करेगा, बड़े ने पूछा ! एक-एक कर हरेक ने अपने से छोटे को हुक्म सुनाया ! जब सबसे छोटे भाई को बोला गया तो वह जोर से रोने लगा ! बड़े ने कहा, अबे चुपकर, मैं अभी जंगल जाकर एक लंबा बांस काट लाता हूँ, फिर लेटे-लेटे ही बंद कर देंगे किवाड़.......!
...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
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वक्त की परछाइयां !
उस हवेली में भी कभी, वाशिंदों की दमक हुआ करती थी, हर शय मुसाफ़िर वहां,हर चीज की चमक हुआ करती थी, अतिथि,आगंतुक,अभ्यागत, हर जमवाडे का क्या कहन...

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नोट: फिलहाल टिप्पणी सुविधा मौजूद है! मुझे किसी धर्म विशेष पर उंगली उठाने का शौक तो नहीं था, मगर क्या करे, इन्होने उकसा दिया और मजबूर कर द...
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स्कूटर और उनकी पत्नी स्कूटी शहर के उत्तरी हिस्से में सरकारी आवास संस्था द्वारा निम्न आय वर्ग के लोगो के लिए ख़ासतौर पर निर्म...
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You have chosen sacred silence, no one will miss you, no one will hear your cries. No one will come to put roses on your grave wit...
ha ha ha ha ha
ReplyDeletesahi hai..
५५ शब्दिया तो कमाल कर रही हैं. हा हा!!
ReplyDeleteअच्छी विधा है लेकिन ये चुटकुले बन कर न रह जाएँ। कथा में वाकई कथा तो हो।
ReplyDeleteरक्षाबंधन पर हार्दिक शुभकामनाएँ!
विश्व-भ्रातृत्व विजयी हो!
jamane ke saath - saath, New vidha, new idea, Great.....
ReplyDeleteAAP SABHEE KAA SHUKRIYAA AUR RAKSHAABANDHAN KEE SUBHKAAMNAAYE !
ReplyDelete'बाहर बर्फ और कडाके की सर्दी थी, सातो भाई सोने के लिए रजाई में दुबक गए! दरवाजा तो खुला रह गया, कौन बंद करेगा, बड़े ने पूछा ! एक-एक कर हरेक ने अपने से छोटे को हुक्म सुनाया ! जब सबसे छोटे भाई को बोला गया तो वह जोर से रोने लगा ! बड़े ने कहा, अबे चुपकर, मैं अभी जंगल जाकर एक लंबा बांस काट लाता हूँ, फिर लेटे-लेटे ही बंद कर देंगे किवाड़.......! '
ReplyDelete- लच्छू कोठारी की औलाद !
गज़ब की कहानियां...एक से बढ़ कर एक...धाँसू...आप को पचपन सौ बार बधाई...
ReplyDeleteनीरज