बंधू सलीम खान एंड कंपनी, हालांकि इस चिठ्ठा जगत पर आये मुझे बहुत अधिक समय नहीं हुआ, लेकिन जब से आया हूँ, तभी से देख रहा हूँ कि एक ख़ास धर्म-संप्रदाय के कुछ मुठ्ठी भर लोग अपने एक ख़ास एजेंडे के तहत अपनी खासियत के अनुरूप, भिन्न-भिन्न नामो से, ( लोगो को भ्रमित करने के लिए दूसरे धर्मो से लोगो के नाम इस्तेमाल करने से भी उन्हें परहेज नहीं) दूसरे धर्म के प्रति एक ख़ास किस्म का छद्म युद्घ छेड़े हुए है! यूँ तो मै बखूबी जानता हूँ कि इस देश ने आजादी के बाद यहाँ के आम इंसान को और कुछ दिया हो अथवा नहीं, मगर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जरूर दी है और जिसका बेजा इस्तेमाल करने से हम लोग कभी भी पीछे नहीं रहे , वरना आपकी क्या मजाल थी कि.......! अपनी बात रखने का हर इंसान को हक़ है मगर कुछ सीमाए भी है, यह नहीं भूलना चाहिए! मैं यह कदापि पसंद नहीं करता कि किसी पर कोई व्यक्तिगत आक्षेप लगाया जाए लेकिन जिस तरह मेरे बार-बार निवेदन करने पर कि आप अपनी बात रखिये मगर दूसरो की आस्था को चोट पहुचाये वगैर, लेकिन आप लोग नहीं माने, इसलिए यह लेख लिखने को मजबूर हुआ !
मैं जानता हूँ कि जब कोई किसी के बारे में कुछ लिखेगा तो पूरी विरादरी ही लपेटे में आयेगी, अतः पहले स्पष्ट कर रहा हूँ कि मेरे इस लेख से किसी को कोई व्यक्तिगत ठेस पहुचे तो उसके लिए मैं माफी माँगता हूँ! जिस तरह आप लोग एक ख़ास एजेंडे के तहत कुछ हिन्दुत्ववादी संस्थाओ की आड़ मे हिन्दुओँ को निशाना बनाकर, उनके धर्म संप्रदाय की जन भावनावो को ठेस पहुचाने का काम करते है, तो आपको यह भी याद रखना होगा कि दूसरा यदि चुप है तो सिर्फ यह सोचकर कि कीचड में क्या पत्थर फेकना ! लेकिन यह न भूलिए कि पत्थर फेंकना उसे भी बखूबी आता है, और अगर वह फेंकने पर उतर आया तो तुम्हे सिर बचाना भी मुश्किल हो जाएगा ! (गोधरा के बाद का गुजरात शायद आपको याद होगा) इसलिए समझदारी इसी में समझी जाती है कि जो लोग खुद कांच के घरों में रहते है, उन्हें दूसरो के घरो पर पत्थर फेंकने से परहेज करना चाहिए !
आपने अभी-अभी जो यह गोधरा की नई कहानी सुनाई उसमे कोई ख़ास नया नहीं है! उस घटना के बाद स्वार्थी लोग बीसियों कहानियां गढ़ चुके है ! इस देश का दुर्भाग्य यही है कि इसने सदियों से लाखो-करोडो जयचंदों को समय समय पर पाला-पोशा! आखिरकार आपने इस बात को मान तो लिया ही कि गोधरा में आग कुछ मुसलमानों ने ही लगाईं थी, नहीं तो एक समय यह था, जब भारत तो दूर पाकिस्तान और अरब देश में बैठे मुसलमान भी यह कह रहे थे कि आग हिन्दुओ ने खुद लगाईं ! वास्तविकता यह है, और मुझे अफसोस के साथ कहना पड़ता है कि इस पृथ्वी पर सबसे अधिक झूठ बोलने वाला कोई प्राणि है, तो वह है आप लोग ( सब नहीं मगर ज्यादातर) और उससे भी अफ़सोसजनक पहलू यह है कि झूठ बोलने के उपरांत, तरह -तरह के हथकंडे अपनाकर उसे सच ठहराने की लगातार कोशिश भी करते हैं ! २६/ ११ के बाद पाकिस्तानियों का झुठ बोलना और लगातार बोलना दुनिया के सामने है ! अभी कल ही की बात बताता हूँ, कुछ, हफ्तों पहले अमेरिकी ड्रोन हमले में तालिबान का प्रमुख बैतुल्ला मारा गया था, लेकिन वे L अगातार झूठ बोल रहे थे कि नहीं बैत्तुल्ला जिंदा है ! मगर वह एक ऐसा झूठ था जिसे वे ज्यादा दिनों तक नहीं बोल सकते थे अतः कल उन्होंने एक नया ड्रामा रचा कि बैतुल्ला मरा नहीं था घायल हो गया था और अब जाकर मर गया है अतः हमने उसे दफ़न कर दिया ! तो यह है आपका सच ! २६/११ के बाद इन्ही पाकिस्तानियों पर मैंने एक कविता लिखी थी, जिसे मैं इस ब्लॉग पर दो जगह पहले पोस्ट भी कर चुका हूँ और अब आपकी खिदमत में पेश कर रहा हूँ ( इसे आप दूसरे अंदाज में भी पढ़ सकते है... समझ गए न ???)
तो लीजिये :
हद-ए-झूठ !
रंगों की महफिल में सिर्फ़ हरा रंग तीखा,बाकी सब फीके !
सच तो खैर, इस युग में कम ही लोग बोलते है ,मगर
झूठ बोलना तो कोई इन पाकिस्तानियों से सीखे !!
झूठ भी ऐंसा कि एक पल को, सच लगने लगे !
दिमाग सफाई के धंदे में,इन्होने न जाने कितने युवा ठगे,
गुनाहों को ढकने के लिए, खोजते है नित नए-नए तरीके !
सच तो खैर, इस युग में कम ही लोग बोलते है,मगर
झूठ बोलना तो कोई इन पाकिस्तानियों से सीखे !!
जुर्म का अपने ये रखते नही कोई हिसाब !
भटक गए राह से अपनी,पता नही कितने कसाब,
पाने की चाह है उस जन्नत को मरके,जो पा न सके जीके !
सच तो खैर, इस युग में कम ही लोग बोलते है,मगर
झूठ बोलना तो कोई इन पाकिस्तानियों से सीखे !!
इस युग में सत्य का दामन, यूँ तो छोड़ दिया सभी ने !
असत्य के बल पर उछल रहे है,आज लुचे और कमीने,
देखे तो है बड़े-बड़े झूठे, मगर देखे न इन सरीखे !
सच तो खैर, इस युग में कम ही लोग बोलते है ,मगर
झूठ बोलना तो कोई इन पाकिस्तानियों से सीखे !!
दहशतगर्दी के इस खेल में मत फंसो मिंया जरदारी !
पड़ ना जाए कंही तुम्ही पर तुम्हारी यह करतूत भारी,
करो इस तरह कि कथनी और करनी में, न फर्क दीखे !
सच तो खैर, इस युग में कम ही लोग बोलते है,मगर
झूठ बोलना तो कोई इन पाकिस्तानियों से सीखे !!
एक बात और कहना चाहता हूँ, जो यह आप बार-बार हिन्दूओ की बुराई करने में तुले हो, तो आपको बताता चलू कि आज जब हम दुनिया के सामने अपने शीघ्र विकसित होने और अमेरिका जैसे देश की बराबरी करने की बात करते है तो वे हँसते हुए जबाब देते है कि आप भले ही और बातो में विकसित हो जावो, लेकिन अमेरिकियों की बराबरी पर आने में अभी १०० साल लगेंगे, ठीक उसी तरह में आपको भी कहना चाहता हूँ कि आपको भी हिन्दुओ की बराबरी पर आने में अभी १०० साल लगेंगे !
आपने किसी बगीचे में कभी गौर फरमाया हो, कि वहाँ पर बरसात में पौधे तो बहुतायात में उग आते है, मजबूत तौर पर फलता फूलता वही पौधा है जिसकी ठीक से गोड़ाई होती है, उसे ठीक से खाद और पानी मिलता है! उसके सपोर्ट के लिए कोई ठोस लकडी उसके साथ बाँध दी जाती है ! आपके अन्दर आज भी ढेरो बुराईया और कुरीतियाँ मौजूद है ! गांवो की तो बात छोडिये दिल्ली जैसे शहर में जहां आपका हर एक भाई अपनी दूकान के जरिये करोडो में कमाता है उसके घर में भी सब सुविधाए होने के बावजूद इस जमाने में ६ से १० तक बच्चे है, और वे बच्चे १०वी से आगे नहीं पढ़े। तो बजाये यहाँ पर अपना यह दूसरे धर्म के लोगो के प्रति, छद्म युद्घ चलाने से बेहतर होगा कि आप अपना कीमती समय अपने समुदाय के उत्थान में लगावो, उन्हें शिक्षित करो, अच्छे-बूरे की ठीक जानकारी उन तक पहुचाओ, ताकि कोई मुल्ला नमाज के दिन उन्हें झूटी-सच्ची बाते बोलकर गुमराह न कर सके, अपने और उनके दिलो में बैठी हीन भावना को निकालो ! उनको यह जानकारी दो कि दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चलना आज के जमाने की मजबूरी है और वह कितना जरूरी है! ताकि आज से ५० साल बाद जब यह देश तथाकथित तौर पर विकसित हो जाएगा, तो सूट-बूट में बाजार में घूम रहे अन्य धर्मो के लोगो को सड़क पर किसी विदेशी के पूछने पर यह बताने मे शर्म महसूस न हो कि मैले-कुचैले कपड़ो में, सिर पर टोपी लगाए, वहाँ घूम रहा दूसरा शख्स भी उसका ही अपना भाई-बंध है !!!!!!!!!!!
मैं जानता हूँ कि जब कोई किसी के बारे में कुछ लिखेगा तो पूरी विरादरी ही लपेटे में आयेगी, अतः पहले स्पष्ट कर रहा हूँ कि मेरे इस लेख से किसी को कोई व्यक्तिगत ठेस पहुचे तो उसके लिए मैं माफी माँगता हूँ! जिस तरह आप लोग एक ख़ास एजेंडे के तहत कुछ हिन्दुत्ववादी संस्थाओ की आड़ मे हिन्दुओँ को निशाना बनाकर, उनके धर्म संप्रदाय की जन भावनावो को ठेस पहुचाने का काम करते है, तो आपको यह भी याद रखना होगा कि दूसरा यदि चुप है तो सिर्फ यह सोचकर कि कीचड में क्या पत्थर फेकना ! लेकिन यह न भूलिए कि पत्थर फेंकना उसे भी बखूबी आता है, और अगर वह फेंकने पर उतर आया तो तुम्हे सिर बचाना भी मुश्किल हो जाएगा ! (गोधरा के बाद का गुजरात शायद आपको याद होगा) इसलिए समझदारी इसी में समझी जाती है कि जो लोग खुद कांच के घरों में रहते है, उन्हें दूसरो के घरो पर पत्थर फेंकने से परहेज करना चाहिए !
आपने अभी-अभी जो यह गोधरा की नई कहानी सुनाई उसमे कोई ख़ास नया नहीं है! उस घटना के बाद स्वार्थी लोग बीसियों कहानियां गढ़ चुके है ! इस देश का दुर्भाग्य यही है कि इसने सदियों से लाखो-करोडो जयचंदों को समय समय पर पाला-पोशा! आखिरकार आपने इस बात को मान तो लिया ही कि गोधरा में आग कुछ मुसलमानों ने ही लगाईं थी, नहीं तो एक समय यह था, जब भारत तो दूर पाकिस्तान और अरब देश में बैठे मुसलमान भी यह कह रहे थे कि आग हिन्दुओ ने खुद लगाईं ! वास्तविकता यह है, और मुझे अफसोस के साथ कहना पड़ता है कि इस पृथ्वी पर सबसे अधिक झूठ बोलने वाला कोई प्राणि है, तो वह है आप लोग ( सब नहीं मगर ज्यादातर) और उससे भी अफ़सोसजनक पहलू यह है कि झूठ बोलने के उपरांत, तरह -तरह के हथकंडे अपनाकर उसे सच ठहराने की लगातार कोशिश भी करते हैं ! २६/ ११ के बाद पाकिस्तानियों का झुठ बोलना और लगातार बोलना दुनिया के सामने है ! अभी कल ही की बात बताता हूँ, कुछ, हफ्तों पहले अमेरिकी ड्रोन हमले में तालिबान का प्रमुख बैतुल्ला मारा गया था, लेकिन वे L अगातार झूठ बोल रहे थे कि नहीं बैत्तुल्ला जिंदा है ! मगर वह एक ऐसा झूठ था जिसे वे ज्यादा दिनों तक नहीं बोल सकते थे अतः कल उन्होंने एक नया ड्रामा रचा कि बैतुल्ला मरा नहीं था घायल हो गया था और अब जाकर मर गया है अतः हमने उसे दफ़न कर दिया ! तो यह है आपका सच ! २६/११ के बाद इन्ही पाकिस्तानियों पर मैंने एक कविता लिखी थी, जिसे मैं इस ब्लॉग पर दो जगह पहले पोस्ट भी कर चुका हूँ और अब आपकी खिदमत में पेश कर रहा हूँ ( इसे आप दूसरे अंदाज में भी पढ़ सकते है... समझ गए न ???)
तो लीजिये :
हद-ए-झूठ !
रंगों की महफिल में सिर्फ़ हरा रंग तीखा,बाकी सब फीके !
सच तो खैर, इस युग में कम ही लोग बोलते है ,मगर
झूठ बोलना तो कोई इन पाकिस्तानियों से सीखे !!
झूठ भी ऐंसा कि एक पल को, सच लगने लगे !
दिमाग सफाई के धंदे में,इन्होने न जाने कितने युवा ठगे,
गुनाहों को ढकने के लिए, खोजते है नित नए-नए तरीके !
सच तो खैर, इस युग में कम ही लोग बोलते है,मगर
झूठ बोलना तो कोई इन पाकिस्तानियों से सीखे !!
जुर्म का अपने ये रखते नही कोई हिसाब !
भटक गए राह से अपनी,पता नही कितने कसाब,
पाने की चाह है उस जन्नत को मरके,जो पा न सके जीके !
सच तो खैर, इस युग में कम ही लोग बोलते है,मगर
झूठ बोलना तो कोई इन पाकिस्तानियों से सीखे !!
इस युग में सत्य का दामन, यूँ तो छोड़ दिया सभी ने !
असत्य के बल पर उछल रहे है,आज लुचे और कमीने,
देखे तो है बड़े-बड़े झूठे, मगर देखे न इन सरीखे !
सच तो खैर, इस युग में कम ही लोग बोलते है ,मगर
झूठ बोलना तो कोई इन पाकिस्तानियों से सीखे !!
दहशतगर्दी के इस खेल में मत फंसो मिंया जरदारी !
पड़ ना जाए कंही तुम्ही पर तुम्हारी यह करतूत भारी,
करो इस तरह कि कथनी और करनी में, न फर्क दीखे !
सच तो खैर, इस युग में कम ही लोग बोलते है,मगर
झूठ बोलना तो कोई इन पाकिस्तानियों से सीखे !!
एक बात और कहना चाहता हूँ, जो यह आप बार-बार हिन्दूओ की बुराई करने में तुले हो, तो आपको बताता चलू कि आज जब हम दुनिया के सामने अपने शीघ्र विकसित होने और अमेरिका जैसे देश की बराबरी करने की बात करते है तो वे हँसते हुए जबाब देते है कि आप भले ही और बातो में विकसित हो जावो, लेकिन अमेरिकियों की बराबरी पर आने में अभी १०० साल लगेंगे, ठीक उसी तरह में आपको भी कहना चाहता हूँ कि आपको भी हिन्दुओ की बराबरी पर आने में अभी १०० साल लगेंगे !
आपने किसी बगीचे में कभी गौर फरमाया हो, कि वहाँ पर बरसात में पौधे तो बहुतायात में उग आते है, मजबूत तौर पर फलता फूलता वही पौधा है जिसकी ठीक से गोड़ाई होती है, उसे ठीक से खाद और पानी मिलता है! उसके सपोर्ट के लिए कोई ठोस लकडी उसके साथ बाँध दी जाती है ! आपके अन्दर आज भी ढेरो बुराईया और कुरीतियाँ मौजूद है ! गांवो की तो बात छोडिये दिल्ली जैसे शहर में जहां आपका हर एक भाई अपनी दूकान के जरिये करोडो में कमाता है उसके घर में भी सब सुविधाए होने के बावजूद इस जमाने में ६ से १० तक बच्चे है, और वे बच्चे १०वी से आगे नहीं पढ़े। तो बजाये यहाँ पर अपना यह दूसरे धर्म के लोगो के प्रति, छद्म युद्घ चलाने से बेहतर होगा कि आप अपना कीमती समय अपने समुदाय के उत्थान में लगावो, उन्हें शिक्षित करो, अच्छे-बूरे की ठीक जानकारी उन तक पहुचाओ, ताकि कोई मुल्ला नमाज के दिन उन्हें झूटी-सच्ची बाते बोलकर गुमराह न कर सके, अपने और उनके दिलो में बैठी हीन भावना को निकालो ! उनको यह जानकारी दो कि दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चलना आज के जमाने की मजबूरी है और वह कितना जरूरी है! ताकि आज से ५० साल बाद जब यह देश तथाकथित तौर पर विकसित हो जाएगा, तो सूट-बूट में बाजार में घूम रहे अन्य धर्मो के लोगो को सड़क पर किसी विदेशी के पूछने पर यह बताने मे शर्म महसूस न हो कि मैले-कुचैले कपड़ो में, सिर पर टोपी लगाए, वहाँ घूम रहा दूसरा शख्स भी उसका ही अपना भाई-बंध है !!!!!!!!!!!
इस जागरूक लेखन के लिए बधाई।
ReplyDeleteभाई साहब अच्छी मार लगाई है आपने इन अस्वच्छ बिरादरी के मलेच्छों को |
ReplyDeleteबधाई स्वीकार करें |
धन्यवाद ||
Ekdam 100% sahi baat bolee aapne, iske liye vadhai.
ReplyDeleteकुछ गिने चुने आतंकी इस्लाम को बद्ननाम कर रहे है। इसी प्रकार कुछ गिने चुने ब्लागजगत में वैमनस्य फैलाना चाहते हैं परंतु ब्लागजगत्त एक सुषिक्षित वर्ग है और यहां उस तरह के शिगूफ़े काम नहीं आएंगे।
ReplyDeletebahut zabardast likha hai aapne Godiyal ji.
ReplyDeleteBadhai sweekar karen.
is swaccha industaan ke bacche se maine bhi ek prash kiya tha jawaab nahi mila hai.
बहुत सही लिखाँ है आपने, शायद इससे सलीम कुछ ज्ञान आये और वह स्वच्छ बात करने लगे।
ReplyDeleteakl mullo'n ko fir bhi nahi aati....
ReplyDeletesach kahe to musalman jitna paisa bum-barood kharidane me aur bharat va hinduvo ke khilaf sazish rachne me kharch karte hain, utna agar apne kaum ki bhalayeee me lagaate to achchha hota.
aise hi likhte rahe'n. badhayee.
क्या गोबर लगा जूता मारा है इन इस्लामी मलेच्छों को |
ReplyDeleteये सब इसी के लायक है |
धन्यवाद
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteआपने तो सच का आईना दिखा डाला!!
ReplyDeleteजागरूक लेख के लिए बधाई!!
very analytical indeed !
ReplyDeleteAgar aalochna sudhaar ke liye ki jaati hi to uska swaagat hona chaahiye ......... par badnaam karne ki liye hai to uski nindaa honi hi chaahiye ......
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