Friday, September 3, 2010

एक लघुतम कथा- मरियल सर्वेसर्वा !

एक देश था, दृढ़, प्रबल, उपायकुशल, साधन संपन्न, सक्षम, साहसी, पराक्रमी, वैश्विक स्तर पर आर्थिक, सैन्य, कूटनीतिक,सांस्कृतिक एवं बौद्धिक , सर्वशक्तिमान के ये जितने पर्याय है, उन सब से परिपूर्ण था वह देश !मगर उस देश का एक दुर्भाग्य यह भी था कि उसने अपने अन्दर गद्दार और कायर निकम्मे भी प्रचुर मात्रा में पाल रखे थे ! वहाँ के कुशल इंजीनियरों और वैज्ञानिकों ने उन्नत किस्म के दिव्यास्त्र, आग्नेयास्त्र दुश्मन के दांत खट्टे करने के लिए बना रखे थे ! देश ने उन अस्त्र-शस्त्रों को चलाने का बटन देश के सर्वेसर्वा के हाथों में दिया हुआ था, और चूँकि सर्वेसर्वा मरियल सा था इसलिए उसे इतनी भर जिम्मेदारी दी गई थी कि वह मौक़ा पड़ने पर सिर्फ बटन दबा दे !



इतना सबकुछ होते हुए भी विडम्बना देखिये कि जरुरत पड़ने पर वह देश अपनी ताकत का इस्तेमाल नहीं कर पाया, क्योंकि उसके लोगो ने अपने आयुद्ध भंडारों का जो रिमोट बटन उस मरियल से सर्वेसर्वा को पकड़ा रखा था, ऐन-वक्त पर वह उसे इस्तेमाल नहीं कर सका ! वजह यह थी कि वह सर्वेसर्वा खुद भी रिमोट से ही चलता था, एवं जिसके पास उसे चलाने का रिमोट बटन था, वह कहीं छिपकर यह सब देख आनंदित हो रहा था ! पूर्व में उस देश के भ्रष्ट नेतावों और आदिवासी जंगली प्रजातियों के मिलन से पैदा हुई एक नई नस्लवादी आदमखोर प्रजाति ने वर्तमान में उस देश में आतंक मचा रखा था! देशवासी असहाय बनकर देखते रहे और एक-एक कर उनका ग्रास बनते चले गए और अंत में वो आदमखोर, एक खूंखार राक्षस की भांति एक दिन पूरे देश को खा गए !

इतिश्री !

18 comments:

  1. वजह यह थी कि वह सर्वेसर्वा खुद भी रिमोट से ही चलता था

    - यही तो भेद है!

    बेहतरीन!

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  2. कौन से देश की बात कर रहे हैं गोदियाल साहब। देश पल्ले नहीं पडा।

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  3. सही कहा है,
    रिमोट का बटन दबाने के लिए भी आत्मबल चाहिए।

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  4. agar yahi haal raha to aapki baat bilkul sahi hai kuch saal main hum log khud hi remote sai control hona laganga (man mohan controlled by sonia)

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  5. मरियल हाथों में कहाँ रिमोट दबाने की दम है .....

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  6. समझदार को इशारा काफी ....देश को चलाने के लिए रिमोट और रिमोट को चलाने के लिए फिर एक रिमोट ....बढ़िया व्यंग है ..

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  7. भूत की कथा, भविष्य का संकेत।

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  8. मारो कहीं
    लगे वहीँ

    यही तो विशेषता है व्यंग्य की............

    उम्दा पोस्ट !

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  9. खूब हिन्दुस्तानी दिल कि बात कही साहेब


    उम्दा........

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  10. आपकी व्यथा समझ रहे हैं गोदियाल जी, लेकिन याद रखिये वो पंक्तियां
    "नर हो न निराश करो मन को"
    चीयर अप, सर। सवेरा होगा और जरूर होगा।

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  11. गोंदियाल साहब अगर सिंहों का मुखिया सिंह की खाल ओढ़े एक गीदड़ होगा तो ऐसा ही होगा......

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  12. बहुत ही सशक्त बात कह डाली आपने.

    रामराम.

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  13. एक तो मरियल, दूसरा रिमोट से चलता है ...तीसरा जो चलाने वाला है ..वो छली, कपटी और धूर्त हो तो क्या होगा..!!
    कहिये कहिये...
    हाँ नहीं तो..!!

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  14. ओह ! कौन() बचाएगा ऐसे देश को ? क्योंकि हालत इतने बुरे हैं जो बचाना चाहते भी हैं उन पर भी भरोसा नहीं हो रहा | दूध के जले हैं न छाछ से भी डर लगने लगा |

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  15. बहुत सही कहा आपने, आभार ।

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प्रश्न -चिन्ह ?

  पता नहीं , कब-कहां गुम हो  गया  जिंदगी का फ़लसफ़ा, न तो हम बावफ़ा ही बन पाए  और ना ही बेवफ़ा।