आपने यह खबर तो अब तक सुन/ पढ़ ही ली होगी कि पाकिस्तानी खिलाडियों पर लगे स्पाट फिक्सिंग के आरोपों से नाराज पाकिस्तानियों ने सोमवार को लाहौर में गधों का जुलूस निकाला और जूते , चप्पल और सडे हुए टमाटरों से उनकी धुनाई कर अपने गुस्से का इजहार किया। प्रदर्शनकारियों ने आरोपियों के नाम पर गधों के गले में जूतों की माला भी पहनाई।प्रदर्शनकारियों ने हर गधे के सिर पर कागज चिपकाकर अपने उन सभी महान क्रिकेट खिलाडियों और अधिकारियों का नाम लिखा था, जो हाल में फिक्सिंग के दोषी है । एक प्रदर्शनकारी ने कहा कि इन खिलाडियों ने देश का सिर नीचा किया है। हम बाढ और आतंकवाद के कारण पहले ही इतनी मुसीबतें झेल रहे हैं और इन खिलाडियों ने हमारी खुशी का मौका भी छीन लिया। कुछ लोगों ने एक गधे के गले में बल्ला तक फँसाकर यह दर्शाने की कोशिश की कि हमारे क्रिकेटर आज किस हाल में पहुँच गए हैं।
आपको बता दूं कि विभाजन के बाद से ही पाकिस्तान में इन गधों को सेक्युलर श्रेणी में रखा गया है, जबकि पाकिस्तान अपने आप को एक पाक-साफ धार्मिक देश मानता है। विभाजन के समय वहाँ इनके जीवित बचने की एक प्रमुख वजह यह मानी गई थी कि जब भी किसी उपद्रवी मुल्ले ने इनसे पूछा कि हे गधों ! तुम बताओ कि तुम हिन्दू हो या फिर मुसलमान? तो ज्यादातर गधों ने बड़ी मासूमियत से यह जबाब दिया था कि मिंयाँ हम ना तो हिन्दू है और न मुसलमान, हम तो सिर्फ गधे है । बस, वहाँ के उपद्रवी मुल्लों को गधों की यह बात भा गई और उन्होंने उन्हें अपना गुलाम बना लिया। तभी से इन गधों ने भी समय-समय पर पाकिस्तान के प्रति अपनी कर्तव्यनिष्ठा का बखूबी पालन किया है और न सिर्फ दैवीय आपदाओं के वक्त बल्कि हर मौसम में इन पाकिस्तानियों की हाँ में हाँ मिलाई है । अभी हाल में आई बाढ़ में गधों ने भी अपने अनेक प्रियजन खोये, उसके बावजूद ये गधे जी-जान से बाढ़ पीड़ितों तक सहायता सामग्री ले जाने, उन्हें सुरक्षित जगहों पर पहुचाने का काम अपनी जान को जोखिम में डाल कर कर रहे है।
उनको थोड़ी राहत तब मिली थी , जब जानवरों की सहायता करने वाली ब्रिटेन की एक संस्था ब्रुक ने पाकिस्तान में बाढ़ से प्रभावित घोड़ों और गधों के लिए एक आपातकालीन सेवा शुरू की थी। इस संस्था का अनुमान है कि हाल की बाढ़ से करीब ७५००० घोड़े-गधे प्रभावित हुए है। बाढ़ के कारण वहाँ आज स्थिति यह है कि खेतों और घाटों के पानी में डूबने की वजह से किसानो और धोबियों ने इन्हें लावारिस छोड़ दिया है। जिसके कारण उन्हें हरी घास तक नसीब नहीं हो रही। खूंटे से बंधे होने के बावाजूद उन्हें ससम्मान चारा नहीं मिल रहा। जनसेवा का उचित फल नहीं मिलने और खुद को निम्न कोटि का करार दिए जाने पर वहां के गधे अपने को काफी लाचार और अपमानित महसूस कर रहे है।
उधर सुनने में आया है कि पाकिस्तानियों के इस अप्रत्याशित अभद्र व्यवहार से वहाँ के गधे सकते में है और साथ ही वे काफी नाराज और भड़के हुए भी है। "इन अहसान फरामोश भिखमंगों ने हमें कभी भी चैन से नहीं रहने दिया" यह कहते हुए अनेकों गधे सड़कों पर उतर आये है। कुछ गधों को वहा के भीड़-भाड़ वाले बाजार में तरह-तरह की बातें करते और अपने क्रोध का इजहार करते हुए पाया गया है।कुछ गधे बैनर भी लिए हुए थे जिस पर लिखा था ;
मैच देखने, खेलने के बहाने जाकर,
खुद तो बाड़े के सुख सहते हो,
मैच फिक्सिंग खुद करते हो,
उसपर गधा हमें कहते हो !
जिस दिन अपनी पर आयेंगे,
ढेंचू-ढेंचू चिल्लायेंगे !
दुलत्ती इतनी खाओगे,
कि गधा कहना ही भूल जाओगे !!
एक अत्यंत क्रोधित गधा तो यहाँ तक कह रहा था कि आने दो इन स्स्सा..... कप्तान सलमान बट्ट, मोहम्मद आसिफ और मोहम्मद आमिर को वापिस पाकिस्तान, इनको तो मैं सबक सिखा कर ही दम लूंगा। ये लोग उलाहना तो हमारी जाति के मुहावरों से देते है कि गधे जैसी हरकते मत करो मगर खुद के व्यवहार पर तनिक भी गौर नहीं फरमाते।
गधों का क्रोध समझा जा सकता है. वाजिब है. गधों को इज़्जत का अधिकार नहीं होना चाहिए क्या.
ReplyDeleteगधों को इज़्जत का अधिकार होना चाहिए
ReplyDeleteबहुत खूब, लाजबाब !
आपको और आपके परिवार को कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ
ReplyDeleteसटीक व्यंग ...गधों की भी इज्ज़त होती है ...
ReplyDeleteहा हा हा ! गोदियाल जी , आज जन्माष्टमी के दिन तो बक्श देते बेचारे गधों को ।
ReplyDeleteऊपर वाला उनकी भी खैर करे ।
जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें ।
चलिए कम से कम गधे आगे बढ़कर प्रदर्शन कर रहे हैं आखिर गधों की भी तो कोई इज्जत है ...हा हा ... जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाये....आभार
ReplyDeleteपाकिस्तान में भी secular गधे हैं. संख्या कम ही होगी. ज्यादातर तो communal ही होंगे.
ReplyDeleteहूं...आखिर अब फ़िर गधा सम्मेलन करवाना ही पडेगा.:)
ReplyDeleteराधे राधे....जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं.
रामराम.
बेचारे गधे, जो न जाने किन किन नामाकूल गधों की करणी का फल भुगत रहे हैं :)
ReplyDeleteअजी कल की खबर यह है कि इन पाकिस्तानियो ने , अपने गधो के गले मे इन किर्केट खिलाडियो के नाम की तख्ती टांग कर इन गधो की पिटाई कर दी, अब मै सोच रह हुं इन मै गधा कोन? पीटने वाला या पिटने वाला?
ReplyDeleteबेचारे गधे ही तो हैं, क्या करें?
ReplyDeletejnaab gdhon ke baare men khub likha he lekin yeh to shi he ke imaadari se kam krne vaale gdhon ko agr aatnkvaadi desh ke beimaan khilaadilyon se joda jayega to gdhon ko naarazgi to hogi he . akhtar khan akela kota rajsthan
ReplyDeleteभारतमाता की जय!
ReplyDeleteओह!! ये बेचारे मूक प्राणी..इज्जत के सिवाय और है क्या...
ReplyDeleteआप की रचना 03 सितम्बर, शुक्रवार के चर्चा मंच के लिए ली जा रही है, कृप्या नीचे दिए लिंक पर आ कर अपनी टिप्पणियाँ और सुझाव देकर हमें अनुगृहीत करें.
ReplyDeletehttp://charchamanch.blogspot.com/2010/09/266.html
आभार
अनामिका
बहुत ही बढिय़ा हा .... हा.... हा...........
ReplyDeleteपाकिस्तानी गधे ब्लाग4वार्ता पर पहुंचे।
आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है-पधारें
गधो की एक मीटिंग चल रही थी बैठक में काफी गरमा गर्मी होने लगी तभी एक गधे ने कहा की पाकिस्तानी कही क़ा -------- अब ध्यान में आया की उस गधे ने ऐसा क्यों कहा.
ReplyDeleteबहुत -बहुत धन्यवाद इस पोस्ट क़े लिए .
क्या बात है, लगता है गधो पर हो रहे इस अत्याचार के खिलाफ ब्लॉग जगत एक हो गया है, और सही भी है गधो की तुलना क्रिकेट के इन गधो से, भाई इन का भी कोई standerd है ..........
ReplyDelete( क्या चमत्कार के लिए हिन्दुस्तानी होना जरुरी है ? )
http://oshotheone.blogspot.com
हा हा हा ....aapke vyangya lekhan kaa koi jabaab nahi...bahut badhiya gondiyal sir.
ReplyDeleteहा हा हा…………………बेहद उम्दा और सटीक व्यंग्य्।
ReplyDelete"इन गधों को सेक्युलर श्रेणी में रखा गया है"
ReplyDeleteहां जी, भारत तो सेक्युलर है ही :)
गज़ब का विषय लाये मित्र !
ReplyDeleteबहुत ख़ूब निभाया..........मज़ा आया.....
धन्यवाद !
गधो ने सही टाइम पर छक्का जड़ा है...
ReplyDeleteइस पोस्ट को भी सुपर सिक्स में शामिल किया गया है. बधाई!!
वहाँ की मेनका जी कौन हैं, पता लगाईये गोदियाल साहब।
ReplyDeleteसच है आखर गधों की भी तो इज़्ज़त है .....
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