Monday, March 19, 2012

हद-ऐ-हठ !



20 comments:

  1. गजब भावाभिव्यक्ति ||

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  2. राहुल भईया लग रहे हैं ...
    पर इतने लाजवाब शब्द उनके लिए तो आप नहीं लिख सकते ... :)

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  3. भाई जी ! बड़ी दूर की कौड़ी फैंकी आपने !
    पर सटीक :-)))
    शुभकामनाएँ!
    इसपे अपना एक शे'र याद आ रहा है ...पर फिर कभी ..
    चलो आज ही सही .इसपे फिट बैठ रहा है ..?
    मुझे बताना जरूर ..
    अर्ज है : अब भी देते हो मुझे जीने की दुआएं
    क्या मेरे गुनाहों की फेहरिस्त इतनी लंबी है ||
    ---अकेला

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  4. लाज़वाब प्रस्तुति...

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  5. बेहतरीन अभिव्यक्ति ... ...

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  6. आज आपके ब्लॉग पर बहुत दिनों बाद आना हुआ. अल्प कालीन व्यस्तता के चलते मैं चाह कर भी आपकी रचनाएँ नहीं पढ़ पाया. व्यस्तता अभी बनी हुई है लेकिन मात्रा कम हो गयी है...:-)

    आप तो कमाल के चित्रकार हैं...रचनाकार तो हैं ही...बेहतरीन. बधाई
    नीरज

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  7. बहुत अच्छी..!!

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  8. ज़रूर माफी मिल जाएगी ...सुंदर अभिव्यक्ति

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  9. बारीक़ रेखाओं से उद्धत ख्याल

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  10. शब्द एवं चित्र..दोनों का बेहतरीन ताल मेल..............
    आभार उपरोक्त पोस्ट हेतु.

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संशय!

इतना तो न बहक पप्पू ,  बहरे ख़फ़ीफ़ की बहर बनकर, ४ जून कहीं बरपा न दें तुझपे,  नादानियां तेरी, कहर  बनकर।