...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
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प्रश्न -चिन्ह ?
पता नहीं , कब-कहां गुम हो गया जिंदगी का फ़लसफ़ा, न तो हम बावफ़ा ही बन पाए और ना ही बेवफ़ा।
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स्कूटर और उनकी पत्नी स्कूटी शहर के उत्तरी हिस्से में सरकारी आवास संस्था द्वारा निम्न आय वर्ग के लोगो के लिए ख़ासतौर पर निर्म...
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पहाड़ों की खुशनुमा, घुमावदार सडक किनारे, ख्वाब,ख्वाहिश व लग्न का मसाला मिलाकर, 'तमन्ना' राजमिस्त्री व 'मुस्कान' मजदूरों...
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शहर में किराए का घर खोजता दर-ब-दर इंसान हैं और उधर, बीच 'अंचल' की खुबसूरतियों में कतार से, हवेलियां वीरान हैं। 'बेचारे' क...
पेड़ बहुत मजबूत है. कार्टून बढ़िया है.
ReplyDeleteकरारा व्यंग्य।
ReplyDeleteबढ़िया कार्टून ...... स:परिवार होली की भी हार्दिक शुभकामनाएं.....
ReplyDeleteदेश कितना बड़ा धक्का झेल गया है..
ReplyDeleteइन पेड़ों को लोग हर पांच साल बाद फिर काफी खाद पानी दे आते हैं
ReplyDeleteपेड़ की जड़ें बहुत गहरी हैं ।
ReplyDeleteबढ़िया व्यंग ।
एक धक्का और दो , इस पेड को ही तोड दो
ReplyDeleteकाश ये पेड भी जल्दी टूटे ...
ReplyDeletesateek bolti tasveer..
ReplyDeleteसाँपों से भरा दरख़्त है। इनकी कोई साख ही नहीं तो बट्टा क्या लगेगा। हाँ इस दरख़्त के कारण देश ज़रूर रसातल में जा रहा है।
ReplyDeleteवाह क्या बात है! थोड़ा मट्ठा जड़ में भी जाना चाहिये।
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