...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
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प्रश्न -चिन्ह ?
पता नहीं , कब-कहां गुम हो गया जिंदगी का फ़लसफ़ा, न तो हम बावफ़ा ही बन पाए और ना ही बेवफ़ा।
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पहाड़ों की खुशनुमा, घुमावदार सडक किनारे, ख्वाब,ख्वाहिश व लग्न का मसाला मिलाकर, 'तमन्ना' राजमिस्त्री व 'मुस्कान' मजदूरों...
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स्कूटर और उनकी पत्नी स्कूटी शहर के उत्तरी हिस्से में सरकारी आवास संस्था द्वारा निम्न आय वर्ग के लोगो के लिए ख़ासतौर पर निर्म...
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ना ही अभिमान करती, ना स्व:गुणगान गाती, ना ही कोई घोटाला करती, न हराम का खाती, स्वाभिमानी है, खुदगर्ज है, खुल्ले में न नहाती, इसीलिए हमारी भै...
पता नहीं शहर का सच क्या है।
ReplyDeleteऊपर आने के बाद का सच भी कितना कडुवा है ... सच है कार्टून बोल रहा है आज ... चीख चीख के ...
ReplyDeleteकुछ नही बहुत कुछ बोल गया
ReplyDeleteदिल्ली जैसे शहर में भिखारी नीचे कब थे ! :)
ReplyDelete:-)
ReplyDelete:-(
इन्हें इंसानों की मौत से कोई फर्क नही पड़ता . badhiya cartoon
ReplyDeleteसरकारी प्रयास जैसे भी होते हों किन्तु आपका प्रयास सराहनीय है भाई.
ReplyDeleteसही है, तीखा जरूर है.
ReplyDeleteसटी· व्यंग्य। मजा· बना·र रख दिया है यूपीए सर·ार ने गरीबों ·ा।
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