...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
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संशय !
मौसम त्योहारों का, इधर दीवाली का अपना चरम है, ये मेरे शहर की आ़बोहवा, कुछ गरम है, कुछ नरम है, कहीं अमीरी का गुमान है तो कहीं ग़रीबी का तूफान...
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नोट: फिलहाल टिप्पणी सुविधा मौजूद है! मुझे किसी धर्म विशेष पर उंगली उठाने का शौक तो नहीं था, मगर क्या करे, इन्होने उकसा दिया और मजबूर कर द...
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पहाड़ी प्रदेश , प्राइमरी स्कूल था दिगोली, चौंरा। गांव से करीब दो किलोमीटर दूर। अपने गांव से पहाड़ी पगडंडी पर पैदल चलते हुए जब तीसरी कक्षा क...
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स्कूटर और उनकी पत्नी स्कूटी शहर के उत्तरी हिस्से में सरकारी आवास संस्था द्वारा निम्न आय वर्ग के लोगो के लिए ख़ासतौर पर निर्म...
पता नहीं शहर का सच क्या है।
ReplyDeleteऊपर आने के बाद का सच भी कितना कडुवा है ... सच है कार्टून बोल रहा है आज ... चीख चीख के ...
ReplyDeleteकुछ नही बहुत कुछ बोल गया
ReplyDeleteदिल्ली जैसे शहर में भिखारी नीचे कब थे ! :)
ReplyDelete:-)
ReplyDelete:-(
इन्हें इंसानों की मौत से कोई फर्क नही पड़ता . badhiya cartoon
ReplyDeleteसरकारी प्रयास जैसे भी होते हों किन्तु आपका प्रयास सराहनीय है भाई.
ReplyDeleteसही है, तीखा जरूर है.
ReplyDeleteसटी· व्यंग्य। मजा· बना·र रख दिया है यूपीए सर·ार ने गरीबों ·ा।
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