...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
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मौन-सून!
ये सच है, तुम्हारी बेरुखी हमको, मानों कुछ यूं इस कदर भा गई, सावन-भादों, ज्यूं बरसात आई, गरजी, बरसी और बदली छा गई। मैं तो कर रहा था कबसे तुम...
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नोट: फिलहाल टिप्पणी सुविधा मौजूद है! मुझे किसी धर्म विशेष पर उंगली उठाने का शौक तो नहीं था, मगर क्या करे, इन्होने उकसा दिया और मजबूर कर द...
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स्कूटर और उनकी पत्नी स्कूटी शहर के उत्तरी हिस्से में सरकारी आवास संस्था द्वारा निम्न आय वर्ग के लोगो के लिए ख़ासतौर पर निर्म...
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देशवासियों तुम हमें सत्ता देंगे तो हम तुम्हें गुजारा भत्ता देंगे। सारे भूखे-नंगों की जमात को, बिजली-पानी, कपड़ा-लत्ता देंगे। ...

 
पता नहीं शहर का सच क्या है।
ReplyDeleteऊपर आने के बाद का सच भी कितना कडुवा है ... सच है कार्टून बोल रहा है आज ... चीख चीख के ...
ReplyDeleteकुछ नही बहुत कुछ बोल गया
ReplyDeleteदिल्ली जैसे शहर में भिखारी नीचे कब थे ! :)
ReplyDelete:-)
ReplyDelete:-(
इन्हें इंसानों की मौत से कोई फर्क नही पड़ता . badhiya cartoon
ReplyDeleteसरकारी प्रयास जैसे भी होते हों किन्तु आपका प्रयास सराहनीय है भाई.
ReplyDeleteसही है, तीखा जरूर है.
ReplyDeleteसटी· व्यंग्य। मजा· बना·र रख दिया है यूपीए सर·ार ने गरीबों ·ा।
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