Saturday, March 24, 2012

तरक्की की अधोगति

11 comments:

  1. बहुत ख़ूबसूरत.

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  2. http://bulletinofblog.blogspot.in/2012/03/5.html

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  3. हाँ, अब बाँसुरी कम, नगाड़ा अधिक बजता है।

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  4. सही कहा, यही पहचान हो गई है.

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  5. AAJ TO YUG HI ESKA HAE JO JITNA HALLA MACHAYEGA UTNA HI ATTENTION PAYEGA
    SACHMUCH BAHUT HI SARTHAK RACHNA

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  6. ·म शब्दों में अधि· और सारगर्भित बात।

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  7. कम शब्दों में अधिक और सारगर्भित बात।

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प्रश्न -चिन्ह ?

  पता नहीं , कब-कहां गुम हो  गया  जिंदगी का फ़लसफ़ा, न तो हम बावफ़ा ही बन पाए  और ना ही बेवफ़ा।