Friday, April 3, 2020

जहां वाले !

जहां वाले,यहीं कुछ कमी रह गई,
यहीं हो गई शायद चूक.तुझसे,
न मैं कुछ कमाने लायक
और न ही मेरा कोई रस़ूख तुझसे।
जब पापी पेट दे ही दिया था
तो भरपेट तो देता,ऐ बेरहम
मिटाई क्यों न गई, ये भूख तुझसे।।
फोटो अक्षयपात्रा से साभार।

2 comments:

संशय!

इतना तो न बहक पप्पू ,  बहरे ख़फ़ीफ़ की बहर बनकर, ४ जून कहीं बरपा न दें तुझपे,  नादानियां तेरी, कहर  बनकर।