मत पूछ मुझसे, इस ढलती हुई उम्र के
मेरे एकाकीपन का सबब, ऐ जिन्दगी !
बस, यूं समझ कि यह सब तेरे कर्ज की
अगली किश्त अदाइगी़ की जद्दोजहद है।
...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
निमंत्रण पर अवश्य आओगे, दिल ने कहीं पाला ये ख्वाब था, वंशानुगत न आए तो क्या हुआ, चिर-परिचितों का सैलाब था। है निन्यानबे के फेर मे चेतना, कि...
वाह।
ReplyDeleteबेहतरीन।👌
आपका तहेदिल से आभार, शिवम जी।🙏
Deleteबहुत खूब।
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