ये वह बांंध है, जो
गढ-हिमालय के टिहरी मे
पवित्र भागीरथी की लहरों पे लेटे है,
यौवन के अपने इस
बुलंद शिखर पर,
स्व:वदन, दिव्य छटा लपेटे है,
ऐ जहां वाले,
भागीरथी के इस द्वारपाल को
कभी उम्रदराज न होने देना
क्योंकि, वह अपने अंदर उफनते
समन्दर की सी, गहराइयां समेटे है।
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