फिरकापरस्ती एंव सियासी चाल के
जहां असंख्य मुरीद हों ऐसे,
गणतंत्र किसान ट्रैक्टर परेड की आढ मे
लालकिले के दीद हों ऐसे,
फिर तो सोचते ही रहो 'परचेत' कि
देश-हित के फैसले मुफी़द हों कैसे।
...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
पता नहीं , कब-कहां गुम हो गया जिंदगी का फ़लसफ़ा, न तो हम बावफ़ा ही बन पाए और ना ही बेवफ़ा।
बेबाक और सटीक।
ReplyDeleteBahut khoob
ReplyDeleteवाह।
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