दिल मे ही अटक गई , वो छोटी सी ख़लिश हूँ,
यकीनन, न तो मैं राघव हूँ और ना ही तपिश हूँ।
मुद्दत से,अकेला हूँ दूर बहुत, करीबियों से अपने,
मगर न जाने क्यों ऐ 'परचेत', इसी मे मैं खुश हूँ।।
...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
निमंत्रण पर अवश्य आओगे, दिल ने कहीं पाला ये ख्वाब था, वंशानुगत न आए तो क्या हुआ, चिर-परिचितों का सैलाब था। है निन्यानबे के फेर मे चेतना, कि...
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 07.01.2021 को चर्चा मंच पर दिया जाएगा| आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी
ReplyDeleteधन्यवाद
वाह बहुत सुंदर।
ReplyDeleteबहुत खूब।
ReplyDeleteसुंदर सृजन।
आभार, आप सभी का🙏
ReplyDeletehttps://gurugodiyal.blogspot.com/2021/01/blog-post_10.html?showComment=1632900538191#c5508281107938922446
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