Thursday, January 21, 2021

टीस..

बीच तुम्हारे-हमारे ये रिश्ते, 

यूं न इसतरह नासाज़ होते, 

फक़त,इसकदर दूरियों मे 

सिमटे हुए न हम आज़ होते,

तुम्हारी सौगंध, हम 

हर लम्हे को बाहों मे समेटे रखते,

थोडा जो अगर तुम्हारे,

मर्यादा मे रखे अलफाज़ होते।

7 comments:

संशय!

इतना तो न बहक पप्पू ,  बहरे ख़फ़ीफ़ की बहर बनकर, ४ जून कहीं बरपा न दें तुझपे,  नादानियां तेरी, कहर  बनकर।