ना ही कोई बंदिश, ना ही कोई परहेज़,
मैं अपने ही उदर पर कहर ढाता रहा।
लजीज़ हरइक पकवान वो परोस्ते गये
और स्वाद का शौकीन, मैं खाता रहा।।
...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
पहाड़ी प्रदेश , प्राइमरी स्कूल था दिगोली, चौंरा। गांव से करीब दो किलोमीटर दूर। अपने गांव से पहाड़ी पगडंडी पर पैदल चलते हुए जब तीसरी कक्षा क...
बहुत बाद में समझ आती है, चटोरी जीव पेट का सत्यानाश कर देती है।
ReplyDeleteक्या बात है :)
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