तुम न कभी अश्क बहाना, ऐ दोस्त,
क्यूंकि तुम बे'गम' हो,
ये तुम्हारा धुर्त 'शो'हर तो,
यूं ही, मजे लेने के खातिर रो लेता हैं।
...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
बस भी करो अब ये सितम, हम और न सह पाएंगे, बदकिस्मती पे अपनी, बल खाए न रह पाएंगे। किस-किस को बताएं अब, अपनी इस जुदाई का सबब, क्या मालूम था,फै...
वाह...बहुत खूब।
ReplyDeleteवाह। विश्व हिन्दी दिवस पर शुभकामनाएं।
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