वक्त की कीमत, हमेंं
मत समझा ऐ दोस्त,
समय अपना व्यतीत के,
हमारा तो पीछा ही
नहीं छोडते ये कमबख़्त,
कुछ पछतावे अतीत के।
...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
धर्म सृष्टा हो समर्पित, कर्म ही सृष्टि हो, नज़रों में रखिए मगर, दृष्टि अंतर्दृष्टि हो, ऐब हमको बहुतेरे दिख जाएंगे दूसरों के, क्या फायदा, चि...
वाह
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