Friday, January 22, 2021

आग्रह..

वक्त की कीमत, हमेंं 

मत समझा ऐ दोस्त, 

समय अपना व्यतीत के,

हमारा तो पीछा ही 

नहीं छोडते ये कमबख़्त, 

कुछ पछतावे अतीत के।


1 comment:

प्रश्न -चिन्ह ?

  पता नहीं , कब-कहां गुम हो  गया  जिंदगी का फ़लसफ़ा, न तो हम बावफ़ा ही बन पाए  और ना ही बेवफ़ा।