Sunday, February 7, 2021

एकाकीपन का सबब..

मत पूछ मुझसे, इस ढलती हुई उम्र के 

मेरे एकाकीपन का सबब, ऐ जिन्दगी !

बस, यूं समझ कि यह सब तेरे कर्ज की 

अगली किश्त अदाइगी़ की जद्दोजहद है।

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संशय!

इतना तो न बहक पप्पू ,  बहरे ख़फ़ीफ़ की बहर बनकर, ४ जून कहीं बरपा न दें तुझपे,  नादानियां तेरी, कहर  बनकर।