मत पूछ मुझसे, इस ढलती हुई उम्र के
मेरे एकाकीपन का सबब, ऐ जिन्दगी !
बस, यूं समझ कि यह सब तेरे कर्ज की
अगली किश्त अदाइगी़ की जद्दोजहद है।
...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
पिराया न करो सभी सुत्र एक ही सरोकार मे, पता नहीं कब साथ इनके, तार-तार हो जाएं, यह न चाहो, हसरत भी संग चले, हकीकत भी, पता नहीं, खेने वाले ख...
वाह।
ReplyDeleteबेहतरीन।👌
आपका तहेदिल से आभार, शिवम जी।🙏
Deleteबहुत खूब।
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