...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
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प्रश्न -चिन्ह ?
पता नहीं , कब-कहां गुम हो गया जिंदगी का फ़लसफ़ा, न तो हम बावफ़ा ही बन पाए और ना ही बेवफ़ा।
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स्कूटर और उनकी पत्नी स्कूटी शहर के उत्तरी हिस्से में सरकारी आवास संस्था द्वारा निम्न आय वर्ग के लोगो के लिए ख़ासतौर पर निर्म...
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अगस्त २००८ के आस-पास मैंने ब्लॉग-जगत में कदम रखा था! तबसे ब्लोगर मित्रों और सम्माननीय पाठकों की प्रेरणा पाकर मैंने एक लघु उपन्यास, ४१ कहानिय...
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पिछले कुछ दिनों से ब्लॉग जगत पर एक ख़ास बात के ऊपर नजर गडाए था ! देखना चाहता था कि अक्सर किसी एक ख़ास मुद्दे पर एक साथ लेखों की बाढ़ निकाल द...
nice.thanks
ReplyDeleteआयर-लैंडी भ्रूण हो, हो असमय नहिं मौत ।
ReplyDeleteबचपन बीते नार्वे, मातु-पिता गर सौत ।
मातु-पिता गर सौत, हेकड़ी वहां भुला दे ।
यू के में पढ़ युवा, सेक्स ब्राजील खुला दे ।
शादी भारत आय, सके नहिं लेकिन कायर ।
बिता बुढापा जाय, सही सबसे है आयर ।।
:):) अब बच्चे ऐसे ही धमकाने वाले हैं ।
ReplyDeleteवहां जाकर बच्चे नहीं , पेरेंट्स को सुधारना पड़ेगा. :)
ReplyDeletesarthak post hetu aabhar
ReplyDeleteहम हिंदी चिट्ठाकार हैं
दराल साहब की बात सही है, नॉर्वे मे तो माँ-बाप का ही इलाज हो रहा है
ReplyDelete:-)
ReplyDeleteमरना थोड़े ही है!
बच्चे न जाने कब से जिद कर रहे हैं।
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